अमेरिका से अपने व्यापार युद्ध के मद्देनजर चीन ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. चीन का कहना है कि वह अमेरिकी दवाब में नहीं आएगा और अंत तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है. इस बीच चीन ने अमेरिका से व्यापार युद्ध की स्थिति को लेकर एक श्वेत पत्र जारी किया. श्वेत पत्र में चीन-अमेरिका व्यापार तनाव के प्रभाव, अमेरिका द्वारा अपने वचनों को तोड़े जाने और व्यापार वार्ता के प्रति चीन के सैद्धांतिक रुख के तीन दृष्टि से चीन और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता संबंधित सत्यों पर प्रकाश डाला है.
अमेरिका ने बार-बार अपने वचनों को तोड़ा
बीते एक साल में चीन और अमेरिका के बीच कुल 11 चरणों की वरिष्ठ वार्ताएं आयोजित की गई हैं. लेकिन अमेरिका ने बार-बार अपने वचनों को तोड़ दिया, चीनी मालों को अधिक कर वसूली लगाने का फैसला लिया और वार्ता में असफल होने का दोष चीन पर लगा दिया. चीनी जनता के हितों और विकास अधिकार की रक्षा करने के लिए चीन ने वार्ता के दौरान संयम का रुख अपनाया. लेकिन इसका मतलब नहीं है कि चीन अपने के ऊपर अनुचित मांग करने और बदनाम करने को स्वीकार कर सकेगा. 2 जून को प्रकाशित श्वेत पत्र का उद्देश्य विश्व को चीन-अमेरिका व्यापार वार्ता की सच्चाई का परिचय देना है, और महत्वपूर्ण सवालों पर चीन की रियायत न देने की कल्पना जाहिर करना है, ताकि इससे चीन के खिलाफ अत्यधिक दबाव देने वाले व्यक्तियों को अपनी कल्पनाओं से त्याग दिया जा सके. इस श्वेत पत्र में चीन-अमेरिका व्यापार वार्ता से संबंधित तीन सत्यों पर प्रकाश डाला गया है.
वार्ता असफल होने का दोष चीन पर लगाया
चीन-अमेरिका व्यापार वार्ता के असफल होने का कारण यही है कि अमेरिका ने तीन बार अपने वचनों को तोड़ा है. अमेरिका ने वार्ता के असफल होने का दोष चीन पर लगाना चाहा. लेकिन तथ्य यह है कि अमेरिका ने ईमानदार रुख को छोड़कर चीन को अत्यधिक दबाव डाला और इसी वजह से वार्ता विफल हुआ. श्वेत पत्र के अनुसार, अमेरिका ने वर्ष 2018 के मार्च, वर्ष 2018 के मई और वर्ष 2019 के मई में तीन बार अपने वचनों को तोड़ दिया. अमेरिका की ओर से अनुचित मांग की जाने से चीन को विवश होकर जवाबी कदम उठाना पड़ा.
अमेरिका ने अपनी चिन्ताएं व्यक्त कीं
चीन की तकनीकी नवाचार और प्रगतियां चीनी जनता की आत्म-निर्भरता और कठोर संघर्ष से आधारित है. वह किसी के यहां से चोरी करने का परिणाम नहीं है. अमेरिका ने बौद्धिक संपदा अधिकारों की 'चोरी' और अनिवार्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बहाने पर चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध किया. अनेक चरणों की वार्ता में अमेरिका ने अपनी चिन्ताएं व्यक्त कीं. इसके प्रति श्वेत पत्र ने बहुत से आंकड़ों खासकर अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स और पत्रिकाओं के हवाले से चीन में बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण प्रणाली की स्थापना, नवाचार संकेतक और अनिवार्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का विरोध करने के संदर्भ में तथ्यों का परिचय दिया. इनसे यह जाहिर है कि अमेरिका द्वारा किया गया आरोप बिल्कुल निराधार है.
अमेरिका को एक बार फिर 'महान' नहीं बनाया
अधिक टैक्स लगाने से दूसरे को क्षति पहुंचाने के साथ-साथ अपने के लिए भी हानिकारक है, इससे अमेरिका को एक बार फिर 'महान' नहीं बनाया गया है. अमेरिका का दावा है कि अधिक कर लगाने से व्यापारिक घाटा को कम किया जाएगा और अमेरिका की वृद्धि को बढ़ाया जाएगा. लेकिन तथ्य यही है कि वर्ष 2018 में अमेरिका की चीन के साथ व्यापारिक घाटा पिछले साल से 11.6 प्रतिशत बढ़ा, जबकि सोयाबीन के चीन को निर्यात में 50 प्रतिशत कमी की गई. मोटर गाड़ियों के निर्यात में भी 20 प्रतिशत कटौती नजर आई.
चीन युद्ध से नहीं डरेगा
अधिक कर वसूली से अमेरिका में दाम स्तर को बढ़ाया गया, अमेरिकी आर्थिक विकास को प्रभावित किया गया और अमेरिका के जन जीवन तथा निर्यात को रोका गया. साथ ही विश्व अर्थतंत्र की बहाली को गंभीर चुनौती संपन्न की गई है. अमेरिका ने यह ऐलान किया कि व्यापार युद्ध से अमेरिका को एक बार फिर महान बनाया जाएगा. लेकिन तथ्यों से जाहिर है कि यह बिल्कुल गलत है. श्वेत पत्र के मुताबिक चीन हमेशा वार्ता के जरिये समस्याओं का समाधान करने का पक्षधर है. लेकिन व्यापार वार्ता करने के लिए दोनों पक्षों को समान दिशा में जाना ही पड़ेगा. चीन व्यापार युद्ध करना नहीं चाहता है. लेकिन चीन इससे नहीं डरेगा और आवश्यकता पर चीन को ऐसे युद्ध का सामना करना पड़ेगा. भविष्य में चाहे स्थितियों में कैसा परिवर्तन आएगा, चीन अच्छी तरह अपने कामकाज समाप्त करेगा और रूपांतर और खुलेपन के माध्यम से अपने विकास लक्ष्य को साकार करेगा. यह चीन का व्यापार घर्षण के मुकाबले में मूल रास्ता होगा.
Source : News Nation Bureau