चीन ने कहा, आरसीईपी देश व्यापार मुद्दों को सुलझाने को भारत के साथ काम करने को प्रतिबद्ध

चीन के उप वाणिज्य मंत्री एवं शीर्ष व्यापार वार्ताकार वांग शावेन ने भरोसा जताया कि इसको लेकर मतभेदों को इस साल के अंत तक सुलझा लिया जाएगा.

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Ravindra Singh
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शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी( Photo Credit : फाइल)

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चीन ने बुधवार को भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) व्यापार करार में शामिल नहीं होने के फैसले को कोई बड़ा मुद्दा नहीं बनाते हुए कहा कि समूह के सदस्य देश भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं. चीन के उप वाणिज्य मंत्री एवं शीर्ष व्यापार वार्ताकार वांग शावेन ने भरोसा जताया कि इसको लेकर मतभेदों को इस साल के अंत तक सुलझा लिया जाएगा. एशिया प्रशांत क्षेत्र के 15 देशों 10 आसियान देशों के अलावा जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच सोमवार को इस व्यापार करार को लेकर मोटे तौर पर सहमति बन गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 16 देशों के ब्लॉक की शिखर बैठक में घोषणा की कि भारत आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा. भारत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए वांग ने कहा कि चीन और 14 अन्य सदस्य देश भारत की चिंताओं का सम्मान करते हैं और इन्हें दूर करने के लिए साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं. हांगकांग के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने वांग के हवाले से लिखा है कि हमें निश्चित रूप से भारत के साथ मिलकर इन समस्याओं को हल करने के लिए काम करना चाहिए. भारत को निश्चित रूप से इस प्रस्ताव के आधार पर फैसला करना चाहिए कि वह इस करार का हिस्सा बनेगा कि नहीं.

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इसके पहले सोमवार को भारत ने मुक्त व्यापार समझौता में शामिल होने से इनकार कर दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी भागीदारी (RCEP) समझौते में शामिल न होने का फैसला किया था. इस समझौते में पीएम नरेंद्र मोदी की कुछ प्रमुख मुद्दों को शामिल नहीं किया गया है जिसके वजह से उन्होंने यह कहते हुए इस समझौते से इनकार कर दिया है कि भारत अपने कोर हितों से कोई समझौता नहीं करेगा. आपको बता दें कि पीएम मोदी के मुताबिक आरसीईपी (RCEP) समझौता इसकी मुख्य उद्देश्य को प्रकट नहीं कर रहा है इसका परिणाम उचित या संतुलित नहीं है.

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आपको बता दें कि इस समझौते में कुछ मुद्दे भारत की समस्याओं को दूर करते हुए नहीं दिखाई दे रहे थे इनमें से प्रमुख मुद्दे चीन के साथ अपर्याप्त अंतर, आयात वृद्धि के खिलाफ अपर्याप्त सुरक्षा, उत्पत्ति के नियमों की संभावित ढकोसला, 2014 के रूप में आधार वर्ष को ध्यान में रखते हुए और बाजार पहुंच व गैर टैरिफ बाधाओं पर कोई विश्वसनीय आश्वासन नहीं दिया गया. जिसकी वजह से भारत ने इस समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया है. 

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