लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता लियु शियाबाओ के निधन पर दिये गए 'गैर जिम्मेदाराना' बयानों के विरोध में चीन ने अमेरिका समेत कई देशों से विरोध दर्ज किया है। साथ ही कहा है कि लियु को शांति का नोबल पुरस्कार दिया जाना ईशनिंदा समान है।
लियु की मौत से जुड़े सवालों के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआन ने कहा कि चीन ने हमारे 'न्यायिक संप्रभुता' में दखलंदाजी के खिलाफ 'कुछ देशों' से विरोध दर्ज किया है।
2010 लियु को मिले नोबल पुरस्कार पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, 'लियु एक कैदी हैं जिन्हें चीन के कानून के तहत जेल की सजा मिली थी...... उन्हें इस तरह से नवाज़ना पुरस्कार देने की मूल भावना के खिलाफ है।'
उन्होंने कहा, 'चीन कानून का पालन करने वाला देश है और सभी कानून के सामने बराबर हैं। कोई भी कानून का उल्लंघन करता है तो उसे सजा मिलेगी। लेकिन कुछ देशों के बयान चीन के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी है। ये चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनों की मूलभावना के खिलाफ है।'
लियु चीन के जानेमाने मानवाधिकार कार्यकर्ता थे जिनकी मृत्यु 61 साल की उम्र में लिवर कैंसर के कारण हो गई। लियु ने अपना अंतिम समय जेल में बिताया और उनकी मृत्यु चीन के शेंगयांग के एक अस्पताल में हो गई।
बीमारी का पता चलने के बाद उन्हें मेडिकल पैरोल मिला था। लेकिन उनकी इच्छा और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भी चीन ने उन्हें इलाज के लिये विदेश नहीं जाने दिया।
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जिन हालात में उनकी मृत्यु हुई उसके बाद चीन को दुनिया भर में आलोचना का शिकार होना पड़ा। नॉर्वे के नोबल कमिटी के बेरिट रेइस एंडरसन ने कहा कि चीन की सरकार लियु की मौत के लिये जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि लियु की मौत पर आए बयान के खिलाफ चीन ने अमेरिका से अपना विरोध दर्ज किया है।
गेंग ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कमिश्नर जैद राद अल हुसैन के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, 'यूएनएचआरसी को चीन की न्यायिक संप्रभुता का सम्मान करना चाहिये।'
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हुसैन ने कहा था, 'उन्होंने अपना जीवन मानवाधिकार की रक्षा के लिये दे दिया। उन्हें अपने सिद्धांतों के लिये जेल में डाल दिया गया।'
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Source : News Nation Bureau