चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि श्रीलंका में भारत के बड़े निवेश को लेकर वह परेशान नहीं है और वह इतनी संकीर्ण सोच नहीं रखता है कि इसका विरोध करे. उल्लेखनीय है कि भारत के ऑकार्ड समूह और ओमान के तेल मंत्रालय ने मिलकर एक संयुक्त उद्यम के जरिये 3.85 अरब डालर के निवेश से श्रीलंका में रिफाइनरी लगाने की घोषणा की है. यहां स्थानीय मीडिया में श्रीलंका के विकास रणनीति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के उप-मंत्री नलिन बांदरा के हवाले से कहा गया है कि ओमान के तेल मंत्रालय और भारत के ऑकार्ड समूह के स्वामित्व वाले सिंगापुर स्थित निवेश निकाय ने एक तेल रिफाइनरी लगाने पर सहमति जताई है. इसे श्रीलंका में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश बताया जा रहा है.
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उल्लेखनीय है कि चीन भी श्रीलंका में बड़ा निवेश कर रहा है. चीन ने रिण अदला-बदली समझौते के तहत श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर लिया है.श्रीलंका में तेल रिफाइनरी लगाने में भारत के निवेश के बारे में चीन की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग सुआंग ने संवाददाताओं से कहा कि द्वीपीय देश में भारत के निवेश को लेकर बीजिंग खुला नजरिया रखता है.प्रवक्ता ने कहा, ‘‘फिलहाल मेरे पास संबंधित सूचना नहीं है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि चीन और श्रीलंका के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग है जिसके ठोस परिणाम रहे हैं.
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जहां तक श्रीलंका में भारत के निवेश की बात है हम इस पर खुला नजरिया रखते हैं. हम जहां श्रीलंका के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं, तो चीन इतना भी सीमित सोच वाला नहीं है जैसा कि आप सोचते हैं.’’पिछले कई सालों से श्रीलंका में चीन का निवेश बढ़ता हुआ आठ अरब डालर तक पहुंच गया जिससे कोलंबो पर विदेशी कर्ज बोझ का दबाव बढ़ गया. इसके जवाब में कर्ज अदला बदली के तहत श्रीलंका का हंबंटोटा बंदरगाह चीन को दिये जाने को लेकर कई देशों ने चिंता जताई विशेषकर अमेरिका ने इसे छोटे देशों के रिण जाल के तौर पर देखते हुये सतर्क किया है.
Source : PTI