तालिबान ने अफगानिस्तान में अपना कब्जा जमा लिया है, जिसके चलते वहां की सरकार ने आत्मसमर्पण कर दिया है. अफगानिस्तान में अब तालिबान की सरकार होगी, जिसका हेड अली अहमद जलाली को बनाया जाएगा. वहीं, अब दुनियाभर में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने और न देने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. अमेरिका समेत कई देश जहां इसके विरोध में खड़े हैं, वहीं चीन ने तालिबान सरकार के साथ मैत्री संबंध रखने के संकेत दिए हैं. AFP न्यूज एजेंसी के हवाले से आई जानकारी में बताया कि चीन ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के साथ मैत्री संबंध विकसित करने की बात कही है.
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वहीं, अफगानिस्तान में संकट पर ब्रिटिश सरकार ने बुधवार को संसद की बैठक बुलाने का फैसला किया है. हाउस ऑफ कॉमन्स ने इसकी पुष्टि की है कि तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया है और वह राष्ट्रपति भवन में प्रवेश कर गया है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, संसद सत्र की बैठक के लिए सुबह 9.30 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक वेस्टमिंस्टर लौटेंगे. अमेरिका, ब्रिटिश और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच अफगानिस्तान में हालात तेजी से बदल रहे हैं. डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा है कि प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन कोबरा बैठक की.
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कोबरा नागरिक आकस्मिकता समिति के लिए शॉर्टहैंड है जिसे राष्ट्रीय आपातकाल या बड़े व्यवधान के मामलों को संभालने के लिए बुलाया जाता है. बैठक के बाद, जॉनसन ने संवाददाताओं से कहा कि अफगानिस्तान से बाहर निकलने के अमेरिकी फैसले ने 'चीजों को तेज' किया है और कहा कि 'कोई नहीं चाहता कि अफगानिस्तान आतंक के लिए प्रजनन स्थल बन जाए.'
Source : News Nation Bureau