China To Blast A Whopping 13,000 Satellites : चीन (China ) एक बार फिर से अपनी ताकत बढ़ाने के लिए जासूसी करने का सहारा ले रहा है. चीन एक ऐसे मिशन को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है, जिससे भारत समेत पूरी दुनिया पर जासूसी का खतरा मंडरा सकता है. एक मेगा कॉन्स्टेलेशन मिशन के जरिये वह अंतरिक्ष में लगभग 13 हजार सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है जो पूरी पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट (निचली कक्षा) का चक्कर लगाएंगे. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, जिस कंपनी को चीन ने यह काम सौंपा है. उसका कहना है कि इस स्पेस मिशन से चीन का उद्देश्य पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट पर अपना दबदबा बनाना है. यह 'मेगा कॉन्स्टेलेशन' हजारों सैटेलाइट का एक नेटवर्क होता है, जो इंटरनेट सेवाएं देने के लिए पृथ्वी की लंबाई और चौड़ाई को कवर करता है. चीन कह रहा है कि यह नेटवर्क चीनी 5G मोबाइल इंटरनेट रोलआउट का हिस्सा है. वे ग्रामीण इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने वाले स्पेसएक्स स्टारलिंक के समान तरीके से काम करेंगे. लेकिन नेटवर्क क्या कवर करेगा, या यह कैसे काम करेगा, इस बारे में विवरण अस्पष्ट हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि यह चीन का जासूसी का प्लान है.
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चीन ने वर्ष 2020 में के स्पेक्ट्रम लिए आवेदन किया था
चीन ने 2020 में इंटरनेट उपग्रहों के 'राष्ट्रीय नेटवर्क' के लिए स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन किया था. इन्हें 'GW' नाम दिया गया था और कुल 12,992 उपग्रह थे, जो उप-नक्षत्रों से बने थे, जो 310 मील से 711 मील तक की परिक्रमा करेंगे. यह 2026 तक चलने वाली पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है, जो संचार, पृथ्वी अवलोकन और नेविगेशन उपग्रहों के एक एकीकृत नेटवर्क की मांग करता है. अब इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड बेस-स्टेशनों को विकसित करने की योजना बनाई गई है. इसके लिए फंड भी बनाया गया है. इस प्रोजक्ट से जुड़ी फर्मों ने चोंगकिंग शहर में विकास कार्य शुरू करने के लिए अनुबंध दिए हैं.
क्या है पूरी योजना
चीन की योजना के मुताबिक, 12,992 उपग्रह 'मेगाकॉन्स्टेलेशन' पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा करेंगे। ये पृथ्वी की सतह से 498.89 किलोमीटर से 1144.24 किलोमीटर के बीच रहेंगे। दरअसल, एक 'मेगाकॉन्स्टेलेशन' हजारों उपग्रहों का एक नेटवर्क है जो इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए पृथ्वी की लंबाई और चौड़ाई को कवर करता है। स्पेसएक्स स्टारलिंक वर्तमान में सबसे विकसित है, जिसमें लगभग 2,000 उपग्रह हैं.
HIGHLIGHTS
- नेटवर्क को चीन के 5G मोबाइल इंटरनेट रोलआउट का हिस्सा बताया जा रहा है
- फिलहाल चीन पर भरोसा नहीं, जासूसी के लिए कर सकता है इस नेटवर्क का इस्तेमाल
- इस मिशन के पूरा होने से भारत समेत पूरी दुनिया पर जासूसी का खतरा मंडरा सकता है