बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए वाली हिंदी कहावत इन दिनों पाकिस्तान पर खरी उतर रही है. सऊदी अरब जैसे परंपरागत दोस्त ने भी अब कर्ज को लेकर इमरान सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. इस बीच पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने कर्ज देने के लिए इमरान सरकार से अतिरिक्त गारंटी की मांग रखी है. जाहिर है चीन अब अपनी शर्ते रख पाकिस्तान को आर्थिक गुलामी की ओर ढकेल रहा है. इसके पहले से ही चीन चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत पाकिस्तान में भारी-भरकम निवेश कर रहा है और इसी परियोजना के तहत पाकिस्तान को कर्ज भी दे रहा है.
6 अरब डॉलर कर्ज के लिए मांगी अतिरिक्त गारंटी
हालांकि अब चीन ने भी कर्ज के बदले शर्त रखनी शुरू कर दी हैं. एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को सीपीईसी के मेन लाइन-1 प्रोजेक्ट के लिए 6 अरब डॉलर का कर्ज देने के लिए अतिरिक्त गारंटी देने की बात कही है. ट्रिब्यून ने लिखा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति डांवाडोल होने की वजह से चीन ने पुख्ता गारंटी पर ही लोन देने के लिए कहा है. पाकिस्तान चाह रहा था कि चीन उसे सस्ती ब्याज दरों पर लोन दे, लेकिन चीन इस बार छूट पर कर्ज देने के साथ कॉमर्शियल लोन भी देगा.
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चीनी फंडिंग से जुड़े कई मामले अनसुलझे
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पुख्ता गारंटी पर कर्ज देने का मामला 10 दिन पहले मेन लाइन-1 प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग मीटिंग के दौरान उठाया गया था. बातचीत में शामिल रहे एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि चीन ने बैठक के दौरान गारंटी का मुद्दा उठाया था लेकिन पाकिस्तान के साथ मीटिंग की फाइनल ब्रीफिंग में इसका जिक्र नहीं किया गया. इस साल अगस्त महीने में एग्जेक्यूटिव कमेटी ऑफ नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल ने 6.8 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी. इस बैठक में फंडिंग से जुड़े कई मसले अनसुलझे रहे.
पाकिस्तान चाह रहा एक फीसदी ब्याज दर पर कर्ज
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान उम्मीद कर रहा था कि उसे 6 अरब डॉलर का कर्ज 1 फीसदी की ब्याज दर से मिलेगा. लेकिन चीन ने कॉमर्शियल और छूट पर कर्ज दोनों देने की बात कही है. एमएल-1 प्रोजेक्ट में पेशावर से कराची के रेलवे ट्रैक को अपग्रेड किया जाएगा. ये परियोजना सीपीईसी के दूसरे चरण का अहम हिस्सा है. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने ट्रिब्यून से बताया कि पाकिस्तान ने रणनीतिक रूप से काफी अहम एमएल-1 प्रोजेक्ट के लिए 6 अरब डॉलर का लोन मांगा था और तीसरे दौर की हुई बातचीत में इसे लेकर कई चीजें स्पष्ट हुई हैं.
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जी-20 देशों से कर्ज अदायगी में ममली छूट
हाल ही में पाकिस्तान को जी-20 देशों से कर्ज अदायगी को लेकर छूट हासिल हुई है. जी-20 से सिर्फ गरीब देशों को ही ये छूट मिलती है. इसके बाद ही, चीनी अधिकारियों ने कर्ज के लिए अतिरिक्त गारंटी की शर्त रख दी है. जी-20 देशों ने ये भी शर्त रखी हैं कि गरीब देश महंगे कॉमर्शियल लोन नहीं लेंगे. उन्हें सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के दायरे में ही कर्ज लेने की छूट होगी. बैठक में शामिल रहे एक अन्य पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा, जब चीन ने बैठक में गारंटी का मुद्दा उठाया तो हम हैरान रह गए. चीनी अधिकारियों ने कहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और जी-20 की शर्तें देखते हुए पाकिस्तान को कॉमर्शियल लोन के लिए गारंटी देनी चाहिए.
आर्थिक बदहाली से पाकिस्तान रेलवे बंद होने की कगार पर
पाकिस्तान को ये भी उम्मीद थी कि इस परियोजना की रणनीतिक अहमियत को देखते हुए चीन 1 फीसदी की ब्याज दर से लोन देने और इसे चुकाने के लिए 10 साल की मोहलत देने के अनुरोध को आसानी से मान लेगा, लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. पाकिस्तान चाह रहा था कि इस परियोजना की 90 फीसदी फंडिंग चीन करे लेकिन चीन सिर्फ 85 फीसदी फंडिंग के लिए राजी हुआ है. पाकिस्तान रेलवे केंद्र सरकार की मदद के बिना अपने कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने की हालत में भी नहीं है. पाकिस्तान के नए रेल मंत्री आजम ने संकेत दिए थे कि बदहाली की वजह से पाकिस्तान रेलवे बंद होने के कगार पर है.