अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी सरकार (Talibani government) का गठन हो गया है. अब तालिबान चीन (China) के सहयोग से अफगानिस्तान के संकट से उबरने का प्रयास करेगा. तालिबान ने साफ कर दिया है कि अफगानिस्तान से यूएस सेना की वापसी और देश पर कब्जे के बाद तालिबान मुख्य रूप से चीन से मिलने वाली मदद पर ही निर्भर रहेगा. इस बीच चीन ने भी घोषणा कर दी है कि वे अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की मदद करेंगे. आइये हम आपको बताते हैं कि अमेरिका की नाकामी का चीन कैसे फायदा उठाना चाहता है?
- चीन का मकसद अफगानिस्तान में निवेश कर राष्ट्रनिर्माण कर दुनिया को बड़ा मैसेज देना है.
- बाइडेन कह चुके हैं कि अमेरिका का मकसद अफगानिस्तान में नेशन बिल्डिंग कभी था ही नहीं.
- अफ़ग़ानिस्तान की हालत पहले से ही ख़स्ताहाल है.
- अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय मदद पर निर्भर है.
- 2020 में अफ़ग़ानिस्तान को मिली अंतर्राष्ट्रीय मदद कुल जीडीपी का 42.9% थी.
- अफ़ग़ानिस्तान सरकार के कुल खर्च का 75% अंतर्राष्ट्रीय मदद से आया था.
चीन के पास बीआरआई पूरा करने का मौका
- अफ़ग़ानिस्तान में चीन तालिबान सरकार के ज़रिये बीआरआई को पूरा करना चाहता है.
- चीन का मक़सद सीपीईसी का विस्तार अफ़ग़ानिस्तान तक करना है.
- सीपीईसी का विस्तार कर चीन साउथ ईस्ट एशिया,सेंट्रल एशिया तक पहुंचना चाहता है.
- सीपीईसी का विस्तार कर चीन खाड़ी देशों यूरोप, अफ्रीका तक पहुंचना चाहता है.
- अमेरिका की वापस ने चीन को बीआरआई प्रोजेक्ट पूरा करने का मौक़ा दे दिया है.
चीन की नजर अफगानिस्तान की पाताल लोक पर है
- अफगानिस्तान के पास 3 खरब डॉलर की खनिज सम्पदा है.
- कॉपर, सोना, चांदी, बॉक्साइट, आयरन, तेल, गैस का बड़ा भंडार है.
- रेयर अर्थ मैटेरियल लीथियम, क्रोमियम, लीड, ज़िंक का भंडार है.
- सल्फ़र, जिप्सम, मार्बल और बेशक़ीमती पत्थरों के खदान हैं.
- अगर इन खनिजों को निकला जाए तो अफगानिस्तान मालामाल हो जाएगा.
- चीन की नजर अफगानिस्तान की इन्हीं खनिजों पर है.
- चीन के लिए इन खनिजों में सबसे खास है रेयर अर्थ मैटेरियल लीथियम.
लीथियम पर होगा चीन का कब्जा
- दुनिया में लिथियम का सबसे बड़ा भंडार बोलिविया में है.
- अमेरिका का अनुमान है कि बोलीविया से भी बड़ा भंडार अफगानिस्तान के पास है.
- आने वाले वक्त में लिथियम दुनिया को बदलने की ताक़त रखता है.
- दुनिया की क्लीन इनर्जी का सपना लीथियम के बगैर मुमकिन नहीं है.
- क्लीन एनर्जी प्रोजेक्ट अफगानिस्तान को अमीर बनाने की ताकत रखता है.
- साल 2040 तक दुनिया में लिथियम की मांग 40 गुना तक बढ़ जाएगी.
- 2040 तक दुनिया की सड़कों पर चलने वाली आधी कारें लीथियम बैटरी से ही संचालित होंगी.
- मोबाइल की बैटरी से लेकर इलेक्ट्रिकल व्हीकल में लीथियम का इस्तेमाल होता है.
- इलेक्ट्रिक कार की कीमत में 40-50 फीसदी हिस्सा इसी लीथियम बैटरी का.
- चीन अफगानिस्तान की खदान से लीथियम निकाल कर सुपर पावर बन जाएगा.
- अभी 75 फीसदी लिथियम का उत्पादन चीन, कांगो और ऑस्ट्रेलिया में होता है.
- लिथियम का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल चीन में ही होता है.
- चीन को अपनी लीथियम ज़रूरत पूरी करने के लिए आसट्रेलिया से आयात करना पड़ता है.
- अफगानिस्तान से लीथियम निकाल कर चीन पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएगा.
अफगानिस्तान में चीन का निवेश
- चीन-अफगानिस्तान की सीमा सिर्फ 76 किलोमीटर लंबी है.
- चीन अफगानिस्तान में 14 अरब डॉलर का निवेश करेगा.
- दोनों देशों के आर्थिक संबंध अब से पहले भी रहे हैं.
- 2019 तक अफगानिस्तान में चीन का 400 मिलियन डॉलर से ज़्यादा था.
- 2019 तक ही अफगानिस्तान में अमेरिका का निवेश सिर्फ 18 मिलियन डॉलर था.
- दोनों देशों के बीच वखान गलियारा परियोजना 50 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण पहले से ही जारी है.
- वखान गलियारा परियोजना चीन के बेल्ट-रोड परियोजना का हिस्सा है.
- इस परियोजना के तहत 350 किलोमीटर लम्बी सड़क बननी है.
- अभी तक सड़क का 20 फीसदी काम ही हुआ है, लेकिन अब चीन की मदद से इस काम में तेज़ी आएगी.
- इस परियोजना के पूरा होने के बाद अफगानिस्तान चीन की खनन परियोजनाओं के लिए भी सहूलियत हो जाएगी.
दक्षिण अमेरिकी देशों में चीन का निवेश और क़र्ज़
- चीन का व्यापार विस्तार एशिया, दक्षिण अमेरिका, अमेरिका, यूरोप से लेकर अफ्रीका तक फैला है.
- दुनिया के 100 से ज़्यादा देशों के साथ चीन का विदेश व्यापार 4 खरब डालर का है.
- चीन के कुल निवेश का 66 फीसदी एशियाई देशों में है, जिसके बाद दक्षिण अमेरिकी देशों का नंबर है.
- चीन के कुल निवेश का 12 फीसदी दक्षिण अमेरिकी देशों में है, जबकि 5 फीसदी अमेरिका में है.
- चीन के कुल निवेश का 7 फीसदी यूरोप और 3.5 फीसदी अफ़्रीकी देशों में है.
- दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चिली, पेरू, वेनेज़ुएला और उरुग्वे में चीन निवेश के साथ कर्ज भी दे रहा है.
- 2010 से अब तक चीन वेनेज़ुएला को तेल के बदले 65 अरब डॉलर, ब्राजील को 21 अरब डॉलर, अर्जेंटीना और इक्वेडोर को मिलाकर 15 अरब डॉलर का कर्ज दे चुका है.
- कई रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि दक्षिण अमेरिकी देशों में चीन का मक़सद वामपंथी विचारधारा वाली सरकार को समर्थन देता है, क्योंकि अर्जेंटीना और ब्राज़ील जैसे देशों में वामपंथी सरकार आते ही चीन ने निवेश के साथ कर्ज भी दिया.
- चीन ने ब्राज़ील में सबसे ज़्यादा निवेश किया है, दक्षिण अमेरिकी देशों में चीन के कुल निवेश का 55 फीसदी ब्राज़ील में है, 2013 में ब्राज़ील में 68 अरब डॉलर से चल रहे कुल 60 प्रोजेक्ट में से 44 चीन के ही थे.
- चिली में चीन 1987 में घुसा, जिसके बाद से आज चिली की कई प्राइवेट कंपनियों को चीन खरीद चुका है.
- ब्राज़ील में चीन की इंट्री 2010 में हुई, यहां चीन ने बिजली उत्पादन में भारी निवेश किया है.
अफ्रीकी देशों पर चीन का कर्ज (2000 से 2015 के बीच दिया गया कर्ज)
दक्षिणी सूडान 181.80 मिलियन डॉलर
अंगोला 19224.36 मिलियन डॉलर
इथोपिया 13067.42 मिलियन डॉलर
नाइजीरिया 3499.10 मिलियन डॉलर
जांबिया 2456.12 मिलियन डॉलर
कॉन्गो 3087.52 मिलियन डॉलर
माली 981.46 मिलियन डॉलर
केन्या 6848.82 मिलियन डॉलर
युगांडा 2876.50 मिलियन डॉलर
बोत्सवाना 931.11 मिलियन डॉलर
चीन के कर्ज में दबे एशियाई देश
- दक्षिण एशिया के तीन देश- पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव पर चीन के बेशुमार कर्ज हैं. श्रीलंका को एक अरब डॉलर से ज़्यादा कर्ज़ के कारण चीन को हम्बनटोटा पोर्ट ही सौंपना पड़ गया था.
- मालदीव में भी चीन कई परियोजनाओं का विकास कर रहा है. मालदीव में जिन प्रोजक्टों पर भारत काम कर रहा था उसे भी चीन को सौंप दिया गया है.
- वन बेल्ट वन रोड में भागीदार बनने वाले आठ देश चीनी कर्ज़ के बोझ से दबे हुए हैं. ये देश हैं- जिबुती, किर्गिस्तान, लाओस, मालदीव, मंगोलिया, मोन्टेनेग्रो, पाकिस्तान और तजाकिस्तान.शोधकर्ताओं का कहना है कि इन देशों ने यह अनुमान तक नहीं लगाया कि कर्ज़ से उनकी प्रगति किस हद तक प्रभावित होगी. कर्ज़ नहीं चुकाने की स्थिति में ही कर्ज़ लेने वाले देशों को पूरा प्रोजेक्ट उस देश के हवाले करना पड़ता है.
- तजाकिस्तान पर सबसे ज़्यादा क़र्ज चीन का है. 2007 से 2016 के बीच तजाकिस्तान पर कुल विदेशी क़र्ज़ में चीन का हिस्सा 80 फ़ीसदी था.
- किर्गिस्तान भी चीन के वन बेल्ट वन रोड परियोजना में शामिल है. किर्गिस्तान की विकास परियोजनाओं में चीन का एकतरफ़ा निवेश है. 2016 में चीन ने 1.5 अरब डॉलर निवेश किया था. किर्गिस्तान पर कुल विदेशी क़र्ज़ में चीन का 40 फ़ीसदी हिस्सा है.
चीन का कर्ज कैसे चुकाएगा पाकिस्तान
- चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर या सीपीईसी चीन के क़र्ज़जाल प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
- ये कॉरिडोर चीन के काशगर प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है.
- इसकी लागत अब बढ़कर 60 अरब डॉलर से ज़्यादा हो चुकी है.
- इसमें भी करीब 80% खर्च अकेले चीन कर रहा है.
- नतीजा-पाकिस्तान धीरे-धीरे चीन का कर्जदार बनता जा रहा है.
- आईएमएफ के मुताबिक, 2022 तक पाकिस्तान को चीन को 6.7 अरब डॉलर चुकाने हैं.
- हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के मुताबिक, चीन ने 150 देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का लोन दिया, जबकि वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ ने 200 अरब डॉलर का दिया.
- चीन ने दर्जन भर देशों को उनकी जीडीपी से 20% से ज्यादा कर्ज दिया; जिबुती इकलौता देश, जिस पर कुल कर्ज का 77% हिस्सा चीन का.
- यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने 2018 में 139 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया, ये आंकड़ा 2017 की तुलना में 4% ज्यादा.
Source : Sajid Ashraf