चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने औपचारिक तौर पर सहायता संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत चीन सरकार डब्ल्यूएचओ को 2 करोड़ अमेरीकी डॉलर की सहायता राशि देगा. इसका प्रयोग नए कोरोना वायरस निमोनिया के खिलाफ कमजोर चिकित्सा व्यवस्था वाले देशों के लिए किया जाएगा. संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम घेब्रेयसस ने चीन सरकार की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि विश्व में महामारी के खिलाफ लड़ाई के काल में चीन ने खुद मुसीबत का सामना करते हुए अन्य विकासशील देशों को सहायता दी. उन्होंने कहा कि नए अज्ञात वायरस के मुकाबले में चीन का अनुभव व्यावहारिक है. चीन में महामारी की स्थिति में गिरावट आयी है, वायरस पर अंकुश लगाया गया है और संबंधित टीके का अनुसंधान और विकास किया जा रहा है. इनका श्रेय सरकार की नेतृत्वकारी क्षमता को जाता है और साथ ही साथ अखिल चीनी लोगों के सहयोग को भी जाता है.
चीन ने स्टेडियम को उच्च कुशलता वाले अस्पताल में बदला
वुहान अस्थाई अस्पताल के अंतिम जत्थे के मरीजों को स्वस्थ होकर छुट्टी मिली. इसके साथ चीन के हुपेइ प्रांत के वुहान शहर में नोवेल कोरोना वायरस के मुकाबले के लिए स्थापित सभी 16 अस्थाई अस्पताल बंद हो गए हैं. सूत्रों के अनुसार महामारी के दौरान वुहान शहर में इस्तेमाल अस्थाई अस्पतालों ने 12 हजार से अधिक हल्के रूप से नोवेल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज किया. अस्थाई अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों ने कि अस्थाई अस्पताल की स्थापना से न सिर्फ चीनी गति और चीनी शक्ति दिखाई गयी, बल्कि चीनी बुद्धिमता भी जाहिर हुई है.
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पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत के नानचिंग शहर आये डॉक्टर योंगयोंगफंग ने बताया, मैं नानचिंग शहर के नंबर 2 अस्पताल का उपनिदेशक हूं. मैं मुख्य तौर पर संक्रमणकारी रोग और जिगर बीमारी से जुड़े काम करता हूं. वुहान की गंभीर स्थिति को देखकर इस फरवरी के शुरू में मैंने आवेदन किया कि अगर जरूरत पड़ती है तो मैं वुहान और हुपेइ आ सकता हूं.
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9 फरवरी को यांगयोंगफंग च्यांगसू प्रांत की हुपेइ प्रांत की सहायता के लिए पांचवीं चिकित्सक टीम के साथ वुहान पहुंचे. इस टीम में 300 से अधिक चिकित्सक हैं, जो विभिन्न क्लिनिक विभागों से आये हैं. क्योंकि इस चिकित्सक टीम में संक्रमणकारी बीमारी का इलाज करने के अनुभव वाले चिकित्सक अधिक नहीं है. वुहान पहुंचने के बाद पहले दो दिन में यांगयोंगफंग ने नोवेल कोरोना वायरस निमोनिया के बुनियादी इलाज और व्यक्तिगत सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. चार दिन के बाद अस्थाई अस्पताल स्थापित हुआ और मरीजों को स्वीकार करने लगा.