भारत को पुलवामा हमले के लिए सबूतों के बिना पाकिस्तान को दोषी ठहराने और जेएम प्रमुख, मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रयासों के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने के बजाय अपनी आतंकवाद विरोधी नीति को फिर से शुरू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, संयुक्त राष्ट्र में एक आतंकवादी के रूप में भी बिना सबूत के, चीनी राज्य मीडिया ने यह बात कही है. आगे चीनी मीडिया ने कहा कि भारत को आरोप लगाने के जगह कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत करना चाहिए.
बता दें कि पुलवामा में हुए आंतकी हमले में 40 भारतीय सैनिक मारे गए, पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद (JAM) के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में आतंकी वादी संगठन मानकर सन 2002 से मुकदमा चल रहा है.
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ये सारी बातें चीन के अखबार (पीपल्स डेली) People’s Daily में प्रकाशित लेख का हिस्सा है. इस लेख में लिखा गया है कि ठोस सबूत के बिना, भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान पर JAM और अन्य आतंकवादी समूहों और चीन द्वारा पाकिस्तान के लिए समर्थन प्रदान करने के लिए आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने का आरोप लगाया है.
इस लेख में भारत से सवाल किये गए हैं कि केवल अन्य देशों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन को दोष देने के बजाय, भारत सरकार को अपनी आतंकवाद-विरोधी नीति पर अधिक आत्मनिरीक्षण नहीं करना चाहिए और भारत-नियंत्रित हिस्से को बेहतर तरीके से संचालित करने के तरीके पर अधिक ध्यान देना चाहिए.
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'अजहर की सूची जारी करने के मुद्दे के रूप में, बीजिंग ने कई बार अपना रुख दोहराया है कि नई दिल्ली को अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए ठोस तथ्य और प्रमाण उपलब्ध कराने चाहिए.'
लेख में कहा गया है कि चीन के पास इस मुद्दे को सावधानी से संभालने का कारण है. 'पर्यवेक्षकों को चिंता है कि भारत द्वारा पाकिस्तान पर सैन्य दबाव बढ़ाने के लिए अजहर को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है, इस प्रकार दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाता है.'
कुल मिलाकर इस पूरे लेख में भारत को केवल नसीहत दी गई है और भारत को किसी ठोस सबूत लाकर पेश करने को कहा गया है.
Source : News Nation Bureau