चंद्रयान-2 पर चीन भी इसरो का हुआ मुरीद, तारीफ करते हुए कहा- न हारें हिम्मत

दुश्मन देश पाकिस्तान के वैज्ञानिकों ने भी इसरो की प्रशंसा की थी अब चीन ने भी इसरो के वैज्ञानिकों के लिए अच्छी बात कही

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nitu pandey
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(फोटो:@isro)

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चंद्रयान-2 मिशन को लेकर भारत को झटका जरूर लगा है, लेकिन पूरी दुनिया इसरो की तारीफ कर रही है. दुश्मन देश पाकिस्तान के वैज्ञानिकों ने भी इसरो की प्रशंसा की थी अब चीन ने भी इसरो के वैज्ञानिकों के लिए अच्छी बात कही है. चीन ने इसरो के वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिना हिम्मत हारे अंतरिक्ष में अपनी खोज को जारी रखें.

चीन की आधिकारिक मीडिया में भी लिखा गया था कि भारत का साहसिक अभियान, चंद्रमा से मात्र 2.1 किमी की दूरी पर विक्रम का टूटा संपर्क. चीन के सरकारी मीडिया ने एक यूजर्स को कोट करते हुए लिखा कि भारत के वैज्ञानिकों ने बेहतरीन प्रयास किया है. एक यूजर ने लिखा, 'हम सब गड्ढे में हैं लेकिन हममें से कुछ लोग सितारों को देख रहे हैं. कोई भी देश अगर अंतरिक्ष की खोज को आगे बढ़ाता है तो वह हमारे सम्मान का अधिकारी है.' 

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ग्लोबल टाइम्स ने एक वैज्ञानिक के हवाले से लिखा कि चंद्रयान के ऐटिट्यूड कंट्रोल थ्रस्टर (एसीटी) का नियंत्रण न हो पाना भी संपर्क टूटने की वजह हो सकती है.

चीनी वैज्ञानिक के मुताबिक लैंडर विक्रम में 50 न्यूटन के 8 थ्रस्टर लगे थे जिसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल था. उनके मुताबिक चीन के चैंग-ई-3 में 28 थ्रस्टर थे. चीन ने इसे 2013 में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए छोड़ा था. इसके बाद उन्होने चैंग-ई-4 को 2013 में ही लॉन्च किया गया जिसकी सॉफ्ट लैंडिंग संभव हो सकी, उन्होंने बताया कि 800 न्यूटन के इंजन से भी सॉफ्ट लैंडिंग संभव नहीं है बल्कि इसके लिए 1,500 से 7,500 न्यूटन की ताकत की जरूरत होती है.

गौरतलब है कि 7 सितंबर को लैंडर विक्रम से चांद की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर दूर संपर्क टूट गया गया था. सोमवार को इसरो ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम का पता चल गया है. वह चांद पर मौजूद है और टूटा नहीं है. उन्होंने बताया कि संभवतः विक्रम की हार्ड लैंडिंग होने की वजह से संपर्क टूट गया था. दोबारा संपर्क साधने की कोशिशें जारी हैं.

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नासा ने भी इसरो की तारीफ करते हुए चंद्रयान-2 को खुद के लिए प्रेरणा बताया है. NASA ने इसरो के साथ मिलकर काम करने की भी इच्छा जताई है. ऑस्ट्रेलिया,यूएई, जापान, और इजरायल, जैसे देशों की स्पेस एजेंसियों ने भी इसरो की तारीफ की है.

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