Xi Jinping: अमेरिका (US China Tension) के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने मंगलवार को अपने देश की बहुपक्षवाद की दीर्घकालिक नीति दोहराई और संयुक्त राष्ट्र (United Nations General Assembly UNGA) में विश्व नेताओं से कहा कि देशों के बीच विवादों को ‘बातचीत और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता है.’ शी की इस टिप्पणी से कुछ घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि उनका ‘एक नया शीत युद्ध’ शुरू करने का कोई इरादा नहीं है. शी जिनपिंग न्यूयॉर्क में नहीं थे मगर उनके के रिकॉर्डेड भाषण को यहां पर टेलीकास्ट किया गया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है. दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है.’
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बातचीत से हल हो सभी मुद्दे-जिनपिंग
सीधे अमेरिका का जिक्र किए बिना शी ने कहा, ‘बाहर से सैन्य हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक परिवर्तन में नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं है. दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है. हमें टकराव और बहिष्कार पर बातचीत और समावेश को तरजीह देने की जरूरत है. जो बाइडेन ने न्यूयॉर्क में अपने पहले संबोधन में कहा कि अमेरिका की सैन्य शक्ति उसका अंतिम विकल्प होना चाहिए न कि पहला. बाइडेन के मुताबिक हथियारों से कोविड-19 महामारी या उसके भविष्य के वरिएंट्स से बचाव नहीं किया जा सकता है, बल्कि यह विज्ञान और राजनीति की सामूहिक इच्छाशक्ति से ही संभव है. चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि अमेरिका एक नया शीत युद्ध नहीं शुरू करना चाहता.
चीनी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र से अंतरराष्ट्रीय मामलों में विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व और कहने को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में लोकतंत्र और कानून के शासन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कहा, "इसे (सुरक्षा, विकास और मानवाधिकारों के क्षेत्रों में) साझा एजेंडा निर्धारित करना चाहिए, दबाव वाले मुद्दों को उजागर करना चाहिए और वास्तविक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, और यह देखना चाहिए कि बहुपक्षवाद के लिए सभी दलों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को सही मायने में पूरा किया जाए."
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अमेरिका ने चीन की जलवायु घोषणा का स्वागत किया
अमेरिकी जलवायु दूत जॉन केरी ने कहा कि वह शी जिनपिंग की इस घोषणा से बिल्कुल खुश हैं कि चीन विदेशों में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों का निर्माण नहीं करेगा. ”केरी ने एक बयान में कहा कि हम इस बारे में काफी समय से चीन से बात कर रहे हैं. और मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि राष्ट्रपति शी ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. चीन पर विदेशों में अपने कोयले के वित्तपोषण को समाप्त करने के लिए भारी कूटनीतिक दबाव रहा है क्योंकि इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दुनिया के लिए राह पर बने रहना आसान हो सकता है. दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक चीन अभी भी अपनी घरेलू ऊर्जा जरूरतों के लिए कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है.
Source : News Nation Bureau