पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में भारतीय सैनिकों से हुई हिंसक झड़प के बाद चीन मोदी सरकार (Modi Government) संग सीमा विवाद पर तनाव को कम करने की दिशा में तो सार्थक प्रयास कर नहीं रहा है. करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर उलटे भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा वॉर अलग खेल रहा है. उसने अभी तक गलवान हिंसा (Galwan Clash) में मारे गए पीएलए (PLA) सैनिकों की सही संख्या तो जाहिर नहीं की है. यह अलग बात है कि ऑस्ट्रेलिया के खोजी पत्रकारिता पर काम करने वाले अखबार क्लैक्सन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चीन ने जो संख्या बताई थी असल में उससे करीब नौ गुना ज्यादा चीनी सैनिक गलवान हिंसा में मारे गए थे. इसके बावजूद ने चीन प्रोपेगैंडा वॉर के तहत पूर्वी लद्दाख हिंसा में घायल सैनिक को अपने विंटर ओलिंपिक के लिए टॉर्च बियरर बनाया है. अमेरिका सहित कई देशों ने इस पर चीन (China) को कठघरे में खड़ा किया है.
पीएलए के रेजिमेंट कमांडर ने चीनी एथलीट से ली ओलिंपिक टॉर्च
बीते दिनों गलवान हिंसा में घायल हुए पीएलए के रेजिमेंट कमांडर की फबाओ ने टॉर्च रिले में चीनी एथलीट वांग मेंग से विंटर ओलिंपिक की मशाल ली. पहली नजर में तो यह सरहद की सुरक्षा में तैनात एक सैनिक का सम्मान लगता है. यह अलग बात है कि वास्तव में ड्रैगन का यह कदम भी भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा और मनोवैज्ञानिक युद्ध की कड़ी का ही एक हिस्सा है. गौरतलब है कि बीजिंग प्रशासन अपने मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के जरिये लगातार भारत के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ता रहा है, लेकिन गलवान झड़प के बाद उसका ये अभियान काफी तेज हो गया है.
यह भी पढ़ेंः राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान वाले बयान पर अमेरिका ने किया किनारा
चीन और उसका प्रोपेगैंडा वॉर एक-दूसरे के पर्याय
भारत के खिलाफ चीन वास्तव में चीन सुन जू की 'धोखे' वाले रणनीति पर चल रहा है. सुन जो को चीनी इतिहास का सबसे चतुर सैन्य रणनीतिकार करार दिया जाता है. ईसा से भी 500 साल पहले पैदा हुए सुन जू ने कहा था, 'जब हमला करने की क्षमता हो तब हमें ऐसे दिखाना चाहिए कि हमारे पास ये क्षमता है ही नहीं. जब हम अपनी फोर्स का इस्तेमाल कर रहे हों तो ये लगना चाहिए कि वो तो निष्क्रिय हैं. जब हम नजदीक में हों तो दुश्मन को ये यकीन होना चाहिए कि हम उनसे बहुत दूर हैं. जब हम दूर हों तो हमें दुश्मन में ये यकीन भरना चाहिए कि हम बहुत नजदीक हैं.' जाहिर है चीन और दुश्मन देशों के खिलाफ उसका प्रोपेगैंडा वॉर एक-दूसरे का पर्याय हैं. भारत के खिलाफ भी गलवान संघर्ष के बाद ड्रैगन की यह साजिश जारी है. कभी एलएसी पर रोबोट सैनिकों की तैनाती का स्वांग रचता है, तो कभी गलवान घाटी में चीनी झंडे को फहराए जाने का दावा करता फर्जी वीडियो दिखाता है.
यह भी पढ़ेंः साइलेंट स्ट्राइक, गुरिल्ला वार, लोकतंत्र..., म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का पहला साल
4 फरवरी से शुरू हो रहे हैं चीनी विंटर ओलिंपिक
गौरतलब है कि 4 फरवरी से बीजिंग विंटर ओलिंपिक की शुरुआत हो रही है. इस मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के पीएम इमरान खान सहित मध्य एशियाई देशों के पांच राष्ट्रपति शामिल हो रहे .अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के अधिकारी चीन द्वारा शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं. हालांकि इन देशों के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. इसके पहले गलवान संघर्ष में घायल चीनी सैनिक को टॉर्च बियरर बना कर बीजिंग ने यह जाहिर कर दिया है कि वह पूर्वी लद्दाख के गलवान संघर्ष को जिंदा रखना चाहता है. गौरतलब है कि जून 2020 में पूर्वी लद्दाख सेक्टर की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी. उस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे.
HIGHLIGHTS
- पीएलए के रेजिमेंट कमांडर की फबाओ ने टॉर्च रिले में विंटर ओलिंपिक की मशाल ली
- बीजिंग प्रशासन भारतीय सैनिकों संग गलवान हिंसा को सुर्खियों में चाहता है रखना
- ऑस्ट्रेलिया अखबार क्लैक्सन ने गलवान हिंसा में मारे गए सैनिकों की बताई संख्या