आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में बच्चों को गुमराह करने वाले और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के खास माने जाने वाले कैसर फारूक की रविवार को हत्या कर दी गई. अज्ञात हमलावरों ने इस काम अंजाम दिया है. इस घटना के बाद जेल में हाफिज सईद की सुरक्षा को बढ़ाया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिंध प्रांत के कराची में स्थित सोहराब गोट में पोर्ट कासिम की जामिया मस्जिद अबूबकर के एक इमाम की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अब तक पूरी दुनिया में आतंक फैलाया है. मगर अब उसके संगठन पर खतरा मंडरा रहा है.
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इस मामले में जो वीडियो सामने आया है. इसमें साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि यह इमाम मुफ्ती कैसर फारूक था. मस्जिद से वापस आ रहा था. तभी मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने उस पर गोलियां बरसान शुरू कर दी. इस गोलीबारी में कैसर फारूक की मौके पर ही मौत हो गई. इस दौरान एक छात्र भी घायल हो गया. फारूक खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान क्षेत्र का रहने वाला था.
ऐसा बताया जा रहा है कि वह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद का खास था. लश्कर मासूम बच्चों को आतंक की ट्रेनिंग देने को तैयार करता था. उनके ब्रेनवॉश की जिम्मेदारी इस मौलवी की थी. पाकिस्तान खुफिया संगठनों का अनुमान है कि हाफिज सईद के जेल जाने के बाद लश्कर-ए-तैयबा में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है. इसके कारण लश्कर प्रमुख के सहयोगियों को एक-एक कर मारा गया है.
हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक कोर्ट ने आतंकी वारदातों में उसका हाथ होने की लंबी सजा मिली है. इसके चलते उसका जेल से निकालना फिलहाल असंभव है. यह बात अलग है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की सहायता से हाफिज समय-समय पर जेल के बाहर आता रहता है.
HIGHLIGHTS
- मस्जिद अबूबकर के एक इमाम को अज्ञात हमलावरों ने मारी गोली
- दो अज्ञात हमलावरों ने उस पर गोलियां बरसान शुरू कर दी
- लश्कर-ए-तैयबा में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई