Corona Outbreak: कोविड संकट के बीच कोरोना टेस्टिंग घटने से विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ गई हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि दुनियाभर में कोरोना टेस्ट 70 से 90 फीसदी तक कम हो गए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कोरोना घातक रूप ले सकता है. दुनियाभर में कोराना के मामले घटने के साथ-साथ टेस्टिंग में ढील भी सामने आई है. यह वैज्ञानिकों के लिए बड़ी समस्या है. दरअसल,अगर टेस्टिंग कम होगी तो वैज्ञानिक यह ट्रैक नहीं कर सकते है कि महामारी का ताजा रुख क्या है. इसके साथ ही नए हॉटस्पॉट, नए वेरिएंट और म्यूटेंट की जानकारी जुटाने में मुश्किल होगी.
70 से 90 फीसदी घटी कोरोना टेस्टिंग
विशेषज्ञों के अनुसार इस साल की पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में कोरोना टेस्टिंग 70 से 90 फीसदी तक कम हो चुकी है. अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रोन वेरिएंट आने के बाद से जांच को बढ़ाने की जरूरत थी, मगर हुआ इसके उल्ट. डॉक्टर कृष्णा उदय कुमार के अनुसार हमें जितनी टेस्टिंग करनी चाहिए थी, हम उसके आसपास भी नहीं हैं. कृष्णा उदय कुमार ड्यूक यूनिवर्सिटी में ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के डायरेक्टर हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में आ रहे कुल कोरोना मामलों में 13 फीसदी ही दर्ज हो पा रहे हैं.
दवाई-वैक्सीन की कमी बनी वजह
विशेषज्ञों की माने तो कई कम आय वाले देशों के लोगों ने कोरोना टेस्ट कराना इसलिए बंद कर दिया क्योंकि वहां कोविड के इलाज की दवाओं में भारी कमी है. घर पर हो रहे टेस्ट को फुलप्रूफ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ट्रैकिंग सिस्टम में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे उन लोगों की हालत एक ऐसा नेत्रहीन प्राणी की तरह हो गई है, जिसे मालूम नहीं है कि वास्तविक स्थिति है क्या.
Source : News Nation Bureau