कोरोना वायरस के संक्रमण से बुजर्गों की मौत होने का सबसे अधिक खतरा है, लेकिन ऐसा नहीं माना जा सकता कि सिर्फ वे ही इसके जोखिम के दायरे में हैं. इस वायरस को लेकर इस बात पर भी चर्चा जारी है कि इससे पीड़ित महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की सेहत ज्यादा खराब हो रही है. अमेरिका और यूरोप में तेजी से बढ़ते मामलों से स्पष्ट हो गया है कि उम्र से परे यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि आप माहमारी से पहले कितने स्वस्थ्य थे.
अधिकतर लोगों में कोरोना वायास से संक्रमण के हल्के लक्षण समाने आ रहे हैं लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि सभी में यह अहम सवाल पैदा करता है कि किसे बीमार होने के बारे में सबसे अधिक चिंता करनी चाहिए? हालांकि, पुख्ता तौर पर वैज्ञानिकों द्वारा कुछ कहने से पहले महीनों के आंकड़ों की जरूत होगी लेकिन शुरुआती अध्ययनों से कुछ संकेत मिले हैं. वरिष्ठ नागरिक निश्चित रूप से इस संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं और चीन में मरने वाले 80 फीसदी लोगों की उम्र 60 साल से अधिक थी और यही परिपाटी अन्य जगहों पर भी देखने को मिल रही है. यह संकेत करता है कि कुछ देशों को सबसे अधिक खतरा है.
जापान के बाद इटली है जहां पर दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बुजुर्ग आबादी रहती है. इटली में 80 प्रतिशन उन लोगों की मौत हुई है जिनकी उम्र 70 साल या इससे अधिक थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में आपात स्थिति के प्रमुख डॉ.माइक रेयान ने कहा, ‘‘ यह विचार कि इस बीमारी से वृद्धों की मौत होती है यह आकलन करने से पहले बहुत ही सतर्क रहना होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि 50 साल तक उम्र के 10 से 15 प्रतिशत लोगों में मध्यम और गंभीर श्रेणी का संक्रमण है. रेयान ने कहा कि अगर वे जिंदा भी रहते हैं तो अधेड़ लोगों को हफ्तों अस्पतालों में बिताना पड़ सकता है. फ्रांस में गहन चिकित्सा कक्षों में भर्ती 300 लोगों में आधे की उम्र 60 साल से कम है.
डब्ल्यूएचओ की मारिया केरखोव ने कहा कि युवा लोग इससे सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यह बताने की जरूरत है कि सभी आयु वर्ग के लोग इस संक्रमण के चपेट में आ रहे हैं. इटली में एक चौथाई संक्रमित हैं जिनकी उम्र 19 से 50 साल के बीच है. स्पेन में एक तिहाई संक्रमितों की उम्र 44 साल से कम है. अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र द्वारा जारी शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक 29 प्रतिशत संक्रमितों की उम्र 20 से 44 साल के बीच है.
जर्नल पेड्रियाटिक रिसर्च में प्रकाशित शोध के मुताबिक बच्चों में यह बीमारी पहेली है क्योंकि संक्रमितों में इनका प्रतिशत कम है. हालांकि, उनमें हल्के लक्षण देखने को मिले है. जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक चीन में संक्रमित 2100 बच्चों का अध्ययन का किया जिनमें से केवल एक 14 वर्षीय बच्चे की मौत हुई और छह प्रतिशत गंभीर रूप से बीमार पड़े. कनाडा के डलहौजी विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने लांसेट संक्रमक बीमारी नामक पत्रिका में लिखा वायरस को फैलाने में बच्चों की भूमिका के बारे में त्वरित शोध की जरूरत है. उम्र से परे शोधकर्ताओं ने सेहत के महत्व को रेखांकित किया है.
अध्ययन के मुताबिक चीन में जिन 40 प्रतिशत लोगों को प्राणरक्षक प्रणालियों की जरूरत पड़ी वे पहले से ही गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे और मधुमेह, हृदयरोग और फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मौत की दर भी अधिक थी. अध्ययन के मुताबिक स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें भी संक्रमण के खतरे को बढ़ा देती है क्योंकि ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. अन्य देशों में देखा जा रहा है कि महामारी से पहले की सेहत अहम भूमिका निभा रही है.
इटली में शुरुआत में 40 साल से उम्र के जिन नौ लोंगों की मौत हुई थी उनमें से हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे. अधिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अभिप्राय है कि और संक्रमण का सबसे घातक स्तर. इटली में जिन लोगों की मौत हुई है उनमें से आधे ऐसे थे जिनकों तीन या चार बीमारियां थी जबकि जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी उनमें मृत्यु दर दो प्रतिशत है.
यूटी साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर में संचारी रोगों के प्रमुख डॉ त्रिश पर्ल ने कहा कि हृदय रोग बहुत वृहद शब्द है लेकिन अबतक सबसे अधिक खतरा उन लोगों में दिखा है जिनकी धमनियां बंद या कड़ी हो गई है. हालांकि, कोरोना वायरस के संक्रमण में लैंगिक असामनता आश्चर्यजनक है. कोरोना वायरस की तरह रोग सार्स और मेर्स के दौरान भी वैज्ञानिकों ने पाया था कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष अधिक संक्रमित हो रहे हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि चीन में होने वाली मौतों में आधे से थोड़े अधिक पुरुष थे.
यह परिपाटी एशिया, यूरोप में भी देखने को मिली. इटली में संक्रमित होने वाले 58 फीसदी पुरुष हैं. आशंका है कि इसकी एक वजह महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में लंबे समय तक धूम्रपान की आदत हो सकती है. हार्मोन में अंतर को भी एक कारण माना जा रहा है. जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक महिलाओं में पाए जाने वाला हार्मोन एस्ट्रोजन रक्षा करता है. यह निष्कर्ष शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए शोध के आधार पर निकाला है.
Source : Bhasha