अनुसंधानर्ताओं ने चमगादड़ों में पाए जाने वाले सार्स-सीओवी-2 की करीबी प्रजाति की पहचान की है जो इस बात के और साक्ष्य प्रस्तुत करती है कि कोविड-19 बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से हुई है न कि प्रयोगशाला में. चीन में शानदोंगे फर्स्ट मेडिकल यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक नीति निर्माताओं और आम लोगों के बीच सार्स-सीओवी-2 वायरस की उत्पत्ति को लेकर चर्चा जारी है.
उन्होंने कहा कि जहां अनुसंधानकर्ता चमगादड़ को वायरस का प्राकृतिक वाहक मान रहे हैं, वहीं वायरस की उत्पत्ति अब भी स्पष्ट नहीं है. अध्ययन में हाल में पहचाने गए चमगादड़ कोरोना वायरस की पहचान की गई है जो जीनोम (जीन के समूह) के कुछ हिस्सों में सार्स-सीओवी-2 की करीबी प्रजाति है. अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, वायरस में सार्स-सीओवी-2 की तरह ही वायरस के स्पाइक प्रोटीन की एस1 और एस2 उप-इकाईयों के संयोजन में अमीनो एसिड का प्रवेश भी देखा गया.
उन्होंने कहा कि भले ही यह सार्स-सीओवी-2 का प्रत्यक्ष उत्पत्तिमूलक पूर्व लक्षण नहीं है, लेकिन यह नया वायरस, आरएमवाईएन02, दिखाता है कि इस तरह के असामान्य प्रवेश कोरोना वायरस की उत्पत्ति में प्राकृतिक रूप से ही देखने को मिल सकते हैं. शानदोंग फर्स्ट मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक प्राध्यापक एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखक वेइफेंग शी ने कहा, “सार्स-सीओवी-2 का पता चलने के बाद से ही ऐसे कई अप्रमाणित दावे किए गए कि वायरस प्रयोगशाला से निकला है.’’
शी ने कहा कि खासतौर पर ऐसा दावा किया गया कि एस1/एस2 प्रवेश बेहद असामान्य है और संभवत: प्रयोगशाला में की गई छेड़छाड़ का संकेतक है. हमारा पत्र स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि ये घटनाएं वन्यजीव में प्राकृतिक रूप से होती हैं। यह सार्स-सीओवी-2 के प्रयोगशाला से निकलने के खिलाफ ठोस साक्ष्य देता है।” यह अनुसंधान ‘करंट बायोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। भाषा नेहा नरेश नरेश
Source : Bhasha