मालदीव: यह द्वीपीय राष्ट्र समुद्र स्तर से केवल 1.5 मीटर ऊपर है. 2050 तक, मालदीव की राजधानी माले पूरी तरह से जलमग्न हो सकती है.
तुवालु: यह द्वीपीय राष्ट्र समुद्र स्तर से केवल 4.5 मीटर ऊपर है. 2100 तक, तुवालु पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है.
किरिबाती: यह द्वीपीय राष्ट्र समुद्र स्तर से केवल 2 मीटर ऊपर है. 2050 तक, किरिबाती के कई द्वीप जलमग्न हो सकते हैं.
मार्शल आइलैंड्स: यह द्वीपीय राष्ट्र समुद्र स्तर से केवल 2 मीटर ऊपर है. 2100 तक, मार्शल आइलैंड्स के कई द्वीप जलमग्न हो सकते हैं.
नौरु: यह द्वीपीय राष्ट्र समुद्र स्तर से केवल 3 मीटर ऊपर है. 2100 तक, नौरु पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है.
नीदरलैंड: यह देश समुद्र स्तर से 1 मीटर नीचे है. नीदरलैंड्स ने समुद्र स्तर से बचाव के लिए कई बांधों और दीवारों का निर्माण किया है, लेकिन ये उपाय हमेशा के लिए नहीं टिक सकते हैं.
बंग्लादेश: यह देश समुद्र स्तर से केवल 10 मीटर ऊपर है. 2100 तक, बंग्लादेश के कई तटीय क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं, जिससे लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं.
चीन: चीन का 54% हिस्सा समुद्र तल से 50 मीटर से कम ऊंचाई पर है. 2100 तक, चीन के कई तटीय शहर, जिनमें शंघाई और हांगकांग शामिल हैं, जलमग्न हो सकते हैं.
भारत: भारत का 40% हिस्सा समुद्र तल से 50 मीटर से कम ऊंचाई पर है. 2100 तक, भारत के कई तटीय शहर, जिनमें मुंबई और चेन्नई शामिल हैं, जलमग्न हो सकते हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह सूची पूरी नहीं है और कई अन्य देश भी डूबने के खतरे में हैं.
समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण:
बाढ़: समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है. बाढ़ से संपत्ति, बुनियादी ढांचे और फसलों को नुकसान हो सकता है.
क्षरण: समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण तटीय कटाव हो सकता है. तटीय कटाव से समुद्र तटों का नुकसान हो सकता है और तटीय संपत्तियां खतरे में पड़ सकती हैं.
खारा पानी घुसपैठ: समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण खारा पानी ताजे पानी के स्रोतों में घुसपैठ कर सकता है. इससे पीने के पानी की कमी हो सकती है और कृषि के लिए पानी की उपलब्धता कम हो सकती है.
आवास का नुकसान: समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण लाखों लोग अपने घरों को खो सकते हैं. इससे सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
Source : News Nation Bureau