नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर पिछले दो सप्ताह से देशव्यापी प्रदर्शन किया जा रहा है. नेपाल के सभी प्रमुख शहरों में हज़ारों लोग सड़कों पर उतर कर देश को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही नेपाल में राजतंत्र की वापसी की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है. अप्रैल 2006 में नेपाल में राजशाही के खात्मे के साथ ही जारी किए गए अंतरिम संविधान से नेपाल ने हिंदू राष्ट्र होने का दर्जा समाप्त करते हुए खुद को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया था.
नेपाल के नागरिक मानते हैं कि राजनीतिक दल जनहित भूल चुके हैं. पक्ष और विपक्षी दोनों के खिलाफ लोग वैकल्पिक मोर्चा खड़ा करने का मन बना रहे हैं. सामयिक विषयों के विशेषज्ञ बिस्वास बरल के अनुसार लोग मानते हैं कि सरकार कोविड-19 और भ्रष्टाचार नियंत्रित करने में विफल रही, संघीय ढांचे को भी पुख्ता नहीं कर सकी. इसके मद्देनजर यहां लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. गौरतलब है कि देश में इस तरह के प्रदर्शन लगातार जारी हैं। इन लोगों का मानना है कि ऐसे ही देशवासियों में एकता आ सकती है।
पांच दिसंबर को सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरे थे. ये समर्थक नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं. शनिवार को यहां आयोजित विशाल रैली में शामिल हुए लोगों ने हिंदू राजशाही के पक्ष में नारे लगाए और हिमालयी राष्ट्र में संवैधानिक राजतंत्र को बहाल करने की मांग की. इन लोगों का दावा है कि देश की राष्ट्रीय एकता और लोगों की भलाई के लिए वो ऐसा कर रहे हैं.
नेपाल को हिदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर पूरे देश में चल रहे इस आंदोलन की शुरुआत 30 अक्टूबर को बुटवल में हिंदूवादी संगठनों की एक रैली से हुई थी. विश्व हिदू महासंघ, राष्ट्रवादी नागरिक समाज, नेपाल विद्वत परिषद, देशभक्त नेपाली नागरिक संगठन, शैव सेना नेपाल, राष्ट्रीय सरोकार मंच, राष्ट्रीय शक्ति नेपाल के कार्यकर्ता रैलियां निकालकर आंदोलन को और ज्यादा व्यापक बनाने में जुटे हैं. वहीं, नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री कमल थापा की अगुआई वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी का समर्थन मिलने के बाद आंदोलन को और मजबूत हो गया है.
Source : News Nation Bureau