वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने वाले मानवीय एंटीबॉडिज में एक ऐसी चीज की पहचान की है जो इस तरह की कई एंटीबॉड में सामान्य तौर पर पाया गया है. उनका कहना है कि इससे कोविड-19 का सफल टीका बनाने में मदद मिल सकती है. कई टीके क्लिनिकल ट्रायल के दौर से गुजर रहे हैं लेकिन अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस-सार्स सीवोवी-2 के खिलाफ कारगर तरीके से काम करने वाले मानवीय एंटिबॉडीज के महत्वपूर्ण अवयव के बारे में अभी जानकारी अस्पष्ट है.
साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने करीब 300 मानवीय सार्स सीओवी-2 एंटिबॉडीज की जांच की और पाया कि वायरस के खिलाफ सबसे प्रभावी तरीके से काम करने वाले में प्राय: एक ही जीन शामिल रहा है.
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अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि सार्स-सीओवी-2 प्रोटीन को बढ़ाने और इसे मेजबान कोशिका के सर्फेस रिसेप्टर एसीई2 से बांधने और मानवीय कोशिका को संक्रमित करने के लिए रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) का इस्तेमाल करता है.
उन्होंने बताया कि वैसे एंटीबॉडिज जो आरबीडी को निशाना बना सकते हैं और एसीई2 से जुड़ाव का रास्ता बंद कर सकते हैं, उसकी मांग ज्यादा हो रही है और उनमें से कई का पता लगाया जा चुका है. मौजूदा अध्ययन में स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के युआन मेंग ने इस तरह के 294 आरबीडी की सूची का मूल्यांकन किया.
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उन्होंने पाया कि आईजीएचवी जीन परिवार का एक जीन जिसे आईजीएचवी3-53 कहा जाता है, उसका इस्तेमाल वायरस के प्रोटीन बढ़ने वाले आरबीडी को निशाना बनाने में ज्यादा होता है. अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि आईजीएचवी3-53 एंटीबॉडिज में न केवल वायरस की उत्परिवर्तन दर कम है बल्कि वायरस को निष्क्रिय करने में भी ज्यदा प्रभावी है.
Source : News Nation Bureau