श्रीलंका को आज से नया प्रधानमंत्री मिल गया है. रनिल विक्रमसिंघे के बाद दिनेश गुणावर्धने ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. गुणावर्धने की नियुक्ति छह बार के प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद हुई है. 73 साल के गुणावर्धने इससे पहले विदेश मंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. अप्रैल में तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने उन्हें गृह मंत्री नियुक्त किया था. इसका मतलब साफ है कि अभी भी सत्ता में वही लोग हैं, जो राजपक्षे परिवार के करीबियों में गिने जाते रहे हैं. यही वजह है कि रनिल विक्रमसिंघे जब राष्ट्रपति चुने गए, तो जनता ने इसका तीखा विरोध किया.
बाहर विरोध प्रदर्शन, प्रदर्शनकारियों को कुचलने की तैयारी
बता दें कि श्रीलंका (Sri Lanka) में रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद सेना और प्रदर्शनकारी फिर से आमने-सामने आ गए हैं. शुक्रवार को रानिल (Ranil Wickremesinghe) के मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले ही सेना राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर डटे प्रदर्शनकारियों को हटाने पहुंच गई. इस कारण शुक्रवार तड़के कोलंबो में राष्ट्रपति सचिवालय के पास गॉल फेस में हालात तनावपूर्ण हो गए. प्रदर्शनकारियों (Protestors) को हटाने पहुंची पुलिस और सेना ने प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़ दिए. वहां लगे बैरिकेड्स भी हटा दिए, जिसके बाद कई प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प भी देखने को मिली. इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया. गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी लगभग बीते साढ़े तीन माह से तंबू गाड़ यहां से अपना विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे.
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क्या राजपक्षे परिवार के बिना श्रीलंका में कोई नहीं बढ़ सकता आगे?
सोचने वाली बात ये है कि गुणावर्धने कई बार श्रीलंका की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वो महिंद्र राजपक्षे परिवार और पार्टी के सहयोगी रहे हैं. इसके बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री बनाया जाना, विरोध प्रदर्शन कर रही जनता के लिए बड़ा संदेश हो सकता है.
HIGHLIGHTS
- श्रीलंका को मिला नया प्रधानमंत्री
- रानिल विक्रमशिंघे ने नियुक्त किया नया प्रधानमंत्री
- गोटाबाया ने पिछले सरकार में बनाया था गृहमंत्री