अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) कई बार कह चुके हैं कि वह अमेरिका में राष्ट्रपति पद (American Presidential Elections 2020) के चुनाव में ‘धांधली के खिलाफ’ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, लेकिन इस बार अदालत में उनकी राह आसान होने के आसार कम दिखाई दे रहे हैं. ट्रंप ने पिछले दो दिन में कई बार कहा है कि अदालत ने जिस प्रकार 2000 में चुनाव में हस्तक्षेप किया था, उसे इस बार भी ऐसा ही करना चाहिए. उस समय अदालत ने जॉर्ज डब्ल्यू बुश को विजेता घोषित किया था. अदालत में पांच न्यायाधीशों ने बुश के हक में और चार न्यायाधीशों ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया था. इस समय सुप्रीम कोर्ट के छह सदस्य कंजरवेटिव हैं, जिनमें से तीन को ट्रंप ने नामित किया था.
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2000 में अमेरिका के हालात थे अलग
अमेरिका में 2000 में हालात अलग थे. उस समय बुश फ्लोरिडा में आगे चल रहे थे और उन्होंने पुन: मतगणना रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था. ट्रंप को अपने प्रतिद्वंद्वी एवं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन को राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दो या अधिक राज्यों में मतों को दरकिनार करने के लिए राजी करना होगा. जीफ जस्टिस जॉन रोबर्ट्स सरकार की राजनीतिक शाखाओं को अदालत से दूर रखने के पक्ष में हैं और उनका मानना है कि राजनीति अदालत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा सकती है. दूसरी ओर चुनाव में धांधली का दावा करने वाले ट्रंप ने कहा है, ‘हम अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे.’
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बाइडेन जीत के और करीब पहुंच
इस बीच, बाइडेन व्हाइट हाउस में जीत के और करीब पहुंचते दिख रहे हैं. पेंसिल्वेनिया की अदालत ने मतों को प्राप्त करने और मेल के जरिए मिले मतों की गणना के लिए तीन अतिरिक्त दिन देने की अनुमति दे दी थी. ट्रंप ने इस फैसले का विरोध किया है. मामला जारी रहने के बीच राज्य के शीर्ष चुनाव अधिकारी ने निर्देश दिया है कि शुक्रवार शाम पांच बजे तक आए मतों को अलग कर उनकी गणना की जाए. ट्रंप की प्रचार मुहिम और रिपब्लिकन नेताओं ने कई राज्यों में कानूनी चुनौतियां पेश की हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर मुकदमे छोटे स्तर के हैं और उनसे अधिक मत प्रभावित नहीं होंगे. ट्रंप और उनकी प्रचार मुहिम ने और भी कानूनी कार्रवाई करने की बात की है और चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. दूसरी ओर बाइडेन की प्रचार मुहिम ने मौजूदा मुकदमों को आधारहीन बताया है.