बांग्लादेश के मशहूर अर्थशास्त्री और रिसर्चर डॉ अबुल बरकत का मानना है कि तीन दशक बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा

बांग्लादेश के मशहूर शास्त्री और रिसर्चर डॉ अबुल बरकत का मानना है कि तीन दशक बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा।

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Abhishek Parashar
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बांग्लादेश के मशहूर अर्थशास्त्री और रिसर्चर डॉ अबुल बरकत का मानना है कि तीन दशक बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा
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बांग्लादेश के मशहूर अर्थशास्त्री और रिसर्चर डॉ अबुल बरकत का मानना है कि तीन दशक बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा।

ढ़ाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बरकत ने अपनी किताब 'पॉलिटिकल इकनॉमी ऑफ रिफार्मिंग एग्रीकल्चर लैंड वाटर बॉडीज इन बांग्लादेश' के विमोचन के मौके पर कहा, 'पिछले 49 सालों के दौरान हिंदुओं के पलायन की दर को देखते हुए ऐसा लगता है।'

बरकत ने कहा कि 1964 से 2013 के दौरान धार्मिक उत्पीड़न की वजह से बांग्लादेश से 1.13 करोड़ हिंदू बांग्लादेश छोड़कर चले गए। इसका मतलब यह हुआ कि बांग्लादेश से हर दिन 632 हिंदुओं का पलायन हुआ।

30 सालों के शोध के बाद बरकत यह बात साबित करने में सफल रहे कि सैन्य शासन के दौरान ही देश में सबसे अधिक हिंदुओं का पलायन हुआ। मुक्ति संग्राम के पहले बांग्लादेश से हिंदुओं के पलायन की दर 705 थी जबकि 1971-1981 के दौरान यह दर 512 थी। वहीं 1981-1991 के दौरान हिंदुओं के पलायन की दर 438 थी।

किताब के मुताबिक 1991-2001 के दौरान हर दिन हिंदुओं के पलायन की दर बढ़कर 767 हो गई और 2001-2012 के बीच यह संख्या 774 तक पहुंच गई। ढ़ाका यूनिवर्सिटी के एक और प्रोफेसर अजय रॉय ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान के शासन के दौरान हिंदुओं की संपत्ति को दुश्मन की संपत्ति करार देकर जब्त कर लिया और फिर बाद में सरकार ने आजादी के बाद उन संपत्तियों को बेकार बताकर अपने कब्जे में ले लिया। किताब के मुताबिक सरकार के इन दोनों फैसलों से देश के 60 फीसदी हिंदू भूमिहीन हो गए।

HIGHLIGHTS

  • 1964 से 2013 के दौरान बांग्लादेश से 1.13 करोड़ हिंदुओं का पलायह हुआ
  • सैन्य शासन के दौरान ही देश में सबसे अधिक हिंदुओं का पलायन हुआ

Source : News Nation Bureau

Bangladesh Hindu exodus Dr Abul Barkat
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