यूरोपीय संसद के वाइस प्रेसिडेंट रिचर्ड चारनियेत्सकी ने एक लेख में भारत-चीन मसले पर टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है कि चीन को भारत की ओर से इतनी तीखी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी।
चारनियेत्सकी ने 'ईपी टुडे' में लिखे एक आर्टिकल में कहा है कि चीन को यह अंदाजा नहीं था कि भारत भूटान सीमा की रक्षा के लिए इतने कड़े रुख के साथ आगे आएगा।
दरअसल यह टिप्पणी हाल ही में भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर हुई तनातनी के बाद आया है। चारनियेत्सकी ने डोकलाम विवाद पर लिखा है, '16 जून को डोकला में सड़क बनाने का एकतरफा फैसला उसकी गलत विदेशश नीति का हिस्सा है। भूटान ने कूटनीतिक तरीके से इस पर विरोध जताया है।'
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उन्होंने लिखा कि चीन ने भूटान की प्रतिक्रिया का अंदेशा तो था ही लेकिन, भारत को लेकर चीन को यह अंदेशा नहीं था कि ऐसी प्रतिक्रिया भारत देगा और अपने पड़ोसी देश की सीमा की रक्षा के लिए इस तरह से खुलकर सामने आएगा।
चारनियेत्सकी ने अपने लेख में कहा कि जैसा चीन ने सोचा था वैसा नहीं हुआ है। भारतीय सेना ने भूटान सरकार से बात करने के लिए चीन के खिलाफ यह कड़ा कदम उठाया है। इसी वजह से बीच में चीन ने भारत को 1962 के युद्ध की याद दिलाई थी।
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चारनियेत्सकी ने लिखा, 'भारत के इस कदम के बाद चीन ने भारत का विरोध शुरू किया, ऐसे में चीन ने साफ किया कि डोकलाम से भारतीय सेना हटने तक वह सीमा विवाद पर भारत से कोई बात नहीं करेगा।' उन्होंने लिखा, 'जरुरत है कि सैन्य और आर्थिक ताकत बढ़ने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी पालन करना चाहिए।'
Source : News Nation Bureau