तकरीबन 20 साल बाद इजरायल के राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर हैं। इससे पहले 1997 में तत्कालीन राष्ट्रपति इज़र वीज़मैन ने भारत की यात्रा की थी। इस बार इजरायल के राष्ट्रपति युर्वेन रिवलिन के साथ काफी बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी साथ है। इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति आगरा, करनाल, चंडीगढ़ और मुम्बई भी जाएंगे।
पिछले कुछ वर्षों में भारत और इजरायल के रिश्तों में काफी सुधार आया है। इस यात्रा से उम्मीद जगी है कि रक्षा, कृषि, सिंचाई, जल संरक्षण और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह सहयोग और भी बढ़ेगा।
आइये जानते हैं कि भारत और इजरायल के इस बदल रहे रिश्ते के और क्या-क्या आयाम हैं:
- भारत ने 17 सितंबर 1950 को इजरायल को बतौर देश मान्यता दी थी। इसके बाद मुम्बई में इजरायल का आव्रजन कार्यालय खोला गया। हांलांकि भारत ने 1992 में इजरायल से कूटनीतिक रिश्ते स्थापित किये।
- एक दौर ऐसा भी था जब फिलिस्तीन में चल रही तनातनी के मद्देनज़र भारत ने इजरायल से दूरी बना रखी थी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इजरायल के खिलाफ़ भी रहा।
- भारत इजरायल के सैनिक सामग्रियों का सबसे बड़ा खरीदार है। 1999 से 2009 के बीच भारत और इजरायल के बीच 9 बिलियन डॉलर का सामरिक व्यापार हुआ।
- 2014 के आंकड़ों के मुताबिक़ इजरायल तीसरा सबसे बड़ा एशियाई व्यापारिक साझीदार है। दुनिया के स्तर पर इजरायल भारत का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है।
- भारत और इजरायल के बीच मुख्यतः हीरे, कीमती पत्थरों, कार्बनिक रसायनों, मेडिकल और तकनीकी उपकरणों, प्लास्टिक और मशीनरी का कारोबार होता है।
- हर साल तकरीबन 40 हज़ार इजरायली भारत घूमने आते हैं। इनमें से अधिकांश अपनी सैनिक सेवा पूरी करने के बाद भारत का रुख करते हैं। तकरीबन 45 हज़ार भारतीय भी हर साल इजरायल घूमने जाते हैं।
- पिछले वर्ष भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इजरायल की यात्रा की थी। अगले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इजरायल की यात्रा पर जा सकते हैं।
Source : Ashish Bhardwaj