पाकिस्तान: हिंसक हमले से परेशान पलायन को मजबूर हैं पेशावर के सिख

पेशावर के 30,000 से ज्यादा सिख (करीब 60 फीसदी हिस्सा) पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में चले गए हैं या लगातार डर और खतरे में रहने की वजह से उन्होंने मजबूर होकर भारत की ओर रुख किया है।

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Sonam Kanojia
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पाकिस्तान: हिंसक हमले से परेशान पलायन को मजबूर हैं पेशावर के सिख

पेशावर में सिखों का सामुहिक पलायन (एएनआई)

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पेशावर में रह रहे अल्पसंख्यक सिख समुदाय के लोग बार-बार इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हो रहे हमले की वजह से पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में भागने को मजबूर हो गए हैं। 

पेशावर के 30,000 से ज्यादा सिख (करीब 60 फीसदी हिस्सा) कट्टरपंथियों की दहशत और बार-बार मिल रही धमकियों की वजह से पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में या भारत पलायन कर गए हैं।

टीआरटी वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में एक घटना हुई। पेशावर में एक शांति कार्यकर्ता और किराने की दुकान के मालिक चरनजीत सिंह पर एक ग्राहक ने ताबड़तोड़ गोली चलाकर मार दिया। जब तक उन्हें अस्पताल ले जाया गया, उनकी मौत हो चुकी थी।

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बाबा गुरपाल सिंह नाम के एक कम्युनिटी प्रवक्ता ने मीडिया को बताया, 'मुझे विश्वास है कि यहां सिखों का नरसंहार हो रहा है।'

इसके अलावा, पाकिस्तान सिख परिषद (पीसीएस) के एक सदस्य ने कहा कि उनके समुदाय को मिटाया जा रहा है, क्योंकि वह 'अलग दिखते थे।'

पीसीएस के सदस्य बलबीर सिंह ने अपनी पगड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा, 'यह हमें एक आसान लक्ष्य बनाता है।'

वहीं, कुछ सिखों ने अल्पसंख्यक समूह के लोगों की हत्याओं के लिए आतंकवादी समूह तालिबान को दोषी ठहराया है।

साल 2016 में एक हाई प्रोफाइल हत्या की घटना हुई थी। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सांसद सोरन सिंह की हत्या कर दी गई थी।

पुलिस ने इस मामले में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बलदेव कुमार को गिरफ्तार किया, जो अल्पसंख्यक हिंदू राजनेता था। हालांकि, इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ले ली और 2 साल तक जांच के बाद सबूतों के अभाव में बलदेव को बरी कर दिया गया।

अब ऐसी स्थिति आ गई है, जहां सिख अपने बालों को काटने और अपनी पहचान छिपाने के लिए पगड़ी पहनने से परहेज करने लगे हैं।

सिख समुदाय के लिए एक और बड़ी समस्या यह है कि पेशावर में उनके लिए अलग से श्मशान घाट नहीं बने हैं। खैबर पख्तुनख्वा सरकार ने पिछले साल श्मशान के लिए रुपये आवंटित किया, लेकिन अभी तक कोई निर्माण शुरू नहीं हुआ है।

यहां तक कि श्मशान बनाने के लिए आवंटित जमीन को एक प्राइवेट बैंक, शादी का हॉल और एक कंपनी बनाने के लिए दे दिया गया है।

स्थानीय मीडिया की मानें तो पाकिस्तानी सरकार यह देख ही नहीं कर रही है कि सिख समुदाय को समर्थन और सुरक्षा की जरूरत है।

टीवी एंकर तरुणजीत सिंह ने सवाल करते हुए पूछा है, 'क्या सिख समुदाय के नेताओं की हत्या और गुरुद्वारा की जमीन की ब्रिकी को टार्गेट बनाया जा रहा है? जब तक आप समस्या को स्वीकर नहीं करते हैं, आप समाधान कैसे ढूंढ सकते हैं?'

तरुणजीत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी तो जल्द ही पाकिस्तान में कोई सिख नहीं बचेगा।

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Source : News Nation Bureau

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