अपने आंगन में आतंकवाद की फसल उगाने वाले पाकिस्तान को अब दुनिया के सामने कौड़ी-कौड़ी को मोहताज होना पड़ रहा है. पाकिस्तान को पैसे के लिए FATF यानी फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स के आगे सवाल झेलने पड़ रहे हैं. आतंकवाद को आर्थिक रसद मुहैया करवाने के सवाल पर अंतरराष्ट्रीय कठघरे में खड़े पाक पर FATF आज अपना नतीजा सुनाएगा. उम्मीद यहीं जताई जा रही है कि आतंक के खिलाफ कार्रवाई की नाकामी की कालिख का रंग और गहरा हो जाए. अगर पाक ब्लैक लिस्ट होने से बच भी जाए तो उसे कई सवालों और समीक्षाओं से गुजरना होगा. हालाकि बीते पांच दिनों से पेरिस में चल रहे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की सालाना बैठक में पाकिस्तान के हिमायती दोस्त चीन, मलेशिया, तुर्की जैसे मुल्क उसकी मदद में लगे हुए हैं.
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बैठक में भारत ने पाक को घेरा
आतंकवाद में आर्थिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए बनी अंतरराष्टरीय संस्था FATF में शामिल एशिया पेसिफिक ग्रुप की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान अधिकतर तय मानकों पर खरा नहीं उतर पाया है. रिपोर्ट में लिखा कि पाकिस्तान में पिछले दो सालों में मनी लांड्रिंग की जांच के करीब 2420 केस दर्ज हुए और 300 से ज़्यादा मामलों में सजा हुई. ये कार्रवाई आतंक को पोसने वाले पाक को FATF के दबाव में लेना पड़ा.
सबसे बड़ी बात ये है कि उन आतंकियों और तंजीमों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की हुई है जो हिंदुस्तान के खिलाफ आतंकी हमलों के जिम्मेदार है. इसको लेकर बैठक में भारत ने अपना दावा साझाा किया. इस बैठक में केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि ईरान, तुर्की और रूस का भी आकलन किया गया. पाकिस्तान और ईरान दोनों का आकलन इस बात के लिए किया गया है कि क्या ये मुल्क वित्तीय सिस्टम के लिए खतरा तो नहीं बन रहे हैं? इसके अलावा तुर्की और रूस का म्यूचुअल एवेलुएशन किया गया.
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क्या है FATF ?
दरसअल फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय नियामक संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के रोकथाक के लिए काम करती है. भारत सहित 39 देश इसके सदस्य हैं और इसके साथ ही IMF और विश्व बैंक जैसी कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं भी FATF से जुड़ी हैं. तीस सालों से Financial Action Task Force ने आतंक की आर्थिक रसद रोकने और कालेधन पर शिकंजा कसने के लिए कई पैमाने तय हैं। जिनके आधार पर देशों के वित्तीय वातावरण के कामकाज का आकलन होता है.
पेरिस में चल रही FATF की बैठक में 39 सदस्य देशों और इससे संबंधित सगठनों सहित 205 क्षेत्राधिकार के 800 अधिकारी प्रतिनिधि शामिल है.
Source : मोहित राज दुबे