अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा ये अगले कुछ घंटों में पता चल जाएगा. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव (presidential election in America) में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने के बाद भी अर्ली वोटिंग में वहां जमकर मतदान की खबरें आईं. हैरानी की बात है कि इस दौरान हथियारों की बिक्री में भी भारी इजाफा हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि नतीजे आने के बाद भारी हिंसा हो सकती है.
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मिलिशा ग्रुप कर सकता है अटैक
अमेरिकी चुनाव में हिंसा की आशंका के बीच मिलिशा समूह (Militia) का नाम सामने आ रहा है. इस समूह को डोनाल्ड ट्रंप का करीबी माना जाता है. पिछले कई इंटरव्यू में भी डोनाल्ड ट्रंप इस बात की आशंका जता चुके हैं कि चुनाव के नतीजों में देरी हो सकती है. चूंकि संविधान में इस हालात के बारे में कोई विचार ही नहीं किया गया है तो राजनैतिक विश्लेषक को डर है कि इस हालात का फायदा भी लिया जा सकता है. बता दें कि अमेरिका में ऐसे हालात भी आए, जब चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा.
कांटे की है टक्कर
अमेरिका में चुनाव में इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. शुरू में काफी आगे चल रहे डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब जो बाइडेन बढ़त बनाए हुए हैं. ये समूह मिलिशा के माफिक पुलिस के समानांतर ही अपना संगठन चला रहा है. ये समूह आमतौर पर श्वेत लोगों और उनके अधिकारों की रक्षा की बात करता है.
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इन समूहों का भी मिल सकता है साथ
मिलिशा में 9 अलग-अलग सब-ग्रुप हैं, जो समान सोच रखते हैं. ये समूह हैं- प्राउड ब्वायज, पैट्रियट प्रेयर, ओथ कीपर्स, लाइट फुट मिलिशा, सिविलियन डिफेंस फोर्स, अमेरिकन कंटीजेंसी, बोगालू बोइस और कू क्लक्स क्लान. ये सभी हथियार बंद समूह रिपब्लिकंस को सपोर्ट करते हैं. ये समूह समान विचारधारा पर काम करते हैं और ऑनलाइन या दूसरे तरीकों से एक-दूसरे से जुड़ते हैं. वैसे मिलिशा किसी देश में युद्ध के दौरान सैनिकों की कमी होने पर भर्ती होने वाले लोगों को भी कहते हैं, जो वैसे तो गैर-पेशेवर होते हैं लेकिन जिन्हें हथियारों और शारीरिक श्रम से परहेज नहीं होता.
Source : News Nation Bureau