Finland to join NATO without Sweden : स्कैंडेनेवियन देश फिनलैंड ने ऐलान किया है कि वो नाटो से जुड़ने के अपने फैसले पर कायम है. भले ही स्वीडन की एंट्री पर तुर्की ने अडंगा लगा दिया हो. फिनलैंड ने कहा है कि वो नाटो से जुड़ेगा और इसके रास्ते में आने वाली सारी परेशानियों को हल कर लेगा. भले ही तुर्की स्वीडन की एंट्री पर अडंगा लगा रहा हो, लेकिन तुर्की फिनलैंड के सामने कोई समस्या खड़ी नहीं करेगा. फिनलैंड उत्तरी यूरोपीय देश है, जिसकी सीमा रूस से लगी हुई है. स्वीडन भी उसका पड़ोसी है.
स्वीडन-फिनलैंड ने लेने वाले थे संयुक्त सदस्यता
बता दें कि स्वीडन और फिनलैंड ने संयुक्त सदस्यता के लिए अप्लाई किया था. लेकिन स्वीडन की सदस्या पर तुर्की ने अडंगा लगा दिया है. दरअसल, स्वीडन में कुछ दक्षिणपंथी पार्टियों की ओर से इस्लाम के धार्मिक ग्रंथ कुरान को जलाए जाने की घटना हुई थी. जिसके बाद तुर्की, पाकिस्तान, सउदी समेत तमाम मुस्लिम देशों ने स्वीडन का तीखा विरोध किया है. तुर्की की मांग है कि स्वीडन में बसे कुर्दों और उनके समर्थकों पर कार्रवाई की जाए, तभी तुर्की उसका साथ देगा. लेकिन ये बात कुरान को जलाने की घटना से पहले की है. ऐसे में अब फिनलैंड को अकेले ही इस रास्ते पर बढ़ना पड़ेगा.
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फिनलैंड यूरोप में अहम देश
फिनलैंड उत्तरी यूरोपीय देशों में आता है. उसे स्कैंडेनेवियन देशों में गिना जाता है. उसके उत्तर में स्वीडन, नॉर्वे और रूस हैं. फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी है. देश का बड़ा हिस्सा प्रायद्वीपीय है, लेकिन तमाम आईलैंड्स इस देश की शान हैं. इसे नॉर्डिक देश के तौर पर भी जाना जाता है. इस देश की आबादी करीब 60 लाख है और ये रूस की तरफ से दबाव का सामना भी कर रहा है.
HIGHLIGHTS
- उत्तरी यूरोपीय देश फिनलैंड करेगा नाटो को ज्वॉइन
- तुर्की के विरोध की वजह से लटकी स्वीडन की सदस्यता
- अभी नाटो में 30 देश, कुछ और देश होना चाहते हैं शामिल