देश में खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ते ही हो-हला शुरू हो जाता है. विपक्ष के साथ मीडिया में जमकर इसकी आलोचना होती है. मगर विश्व में ऐसे कई देश हैं जो इस महंगाई में पिस चुके हैं. यहां महंगाई दर 400 गुना से भी अधिक है. यहां पर छोटी से छोटी चीज के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. इन देशों में एक किलो टमाटर खरीदने के लिए आपको अपना घर भी बेचना पड़ सकता है! वहीं एक काफी की लाखों रुपये कीमत चुकानी पड़ सकती है. ऐसा ही एक देश है वेनेजुएला. जहां पर 471 फीसदी खाद्य महंगाई दर पहुंच चुकी है. यहां पर खाद्य वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं. एक किलो टमाटर की कीमत 40 लाख बोलिवर है. वहीं एक काफी के लिए करीब 50 लाख बोलिवर चुकाना होता है.
यहां पर एक डॉलर की कीमत 2724370 बोलिवर है. वेनेजुएला के अलावा सबसे ज्यादा महंगाई दर वाले देशों में लेबनान भी है. यहां पर फूड इंफ्लेशन दर 350 फीसदी पर है. इस तरह का देश अर्जेंटीना भी है. यहां पर खाद्य महंगाई दर 118 फीसदी तक पहुंच चुकी है. जिम्बावे में भी महंगाई ने तांड़व मचा रखा है. यहां पर जनता सड़कों पर उतर आई है. सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
वहीं पाकिस्तान की बात करें तो यहां पर जनता को आटा भी मयसर नहीं है. सस्ते आटे के लिए जनता को सरकारी स्टोरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. यहां पर खाद्य महंगाई दर 48.65 तक पहुंच चुकी है. अपने देश की बात करें तो यहां पर खाद्य महंगाई दर आरबीआई के तय लक्ष्य से पीछे है. यहां पर ये दर 2.91 फीसदी पर है.
यूक्रेन में युद्ध के कारण पड़ा असर
रूस-यूक्रेन में युद्ध के कारण खाद्य महंगाई दर पर असर पड़ा है. पूरी दुनिया इससे प्रभावित हुई है. पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. युद्ध के कारण अनाज और फर्टिलाइजर के निर्यात पर असर दिख रहा है. जानकारों की मानें तो अगर खाद्य वस्तुओं की महंगाई ऐसे ही बढ़ती रही तो कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. इस युद्ध की वजह से विकसित देशों पर भी प्रभाव देखने को मिला है. जर्मनी में इसी साल महंगाई ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. यहां पर 70 सालों में ऐसी महंगाई नहीं देखी गई. यहां पर मुद्रस्फिति दर 7.9 प्रतिशत तक पहुंच गई. वर्ष 1951 में ये दर 7.5 प्रतिशत थी.
HIGHLIGHTS
- वेनेजुएला में एक काफी की लाखों रुपये कीमत चुकानी पड़ सकती है
- युद्ध के कारण अनाज और फर्टिलाइजर के निर्यात पर असर दिख रहा