चीन कर्ज और आर्थिक मदद की पॉलिसी पर चलकर एक के बाद एक दक्षिण एशिया के देशों में अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है. भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पड़ोसियों को चीन की कर्ज पॉलिसी से आगाह किया है. उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना सभी पड़ोसी देशों से कहा है कि वे किसी देश के कर्ज के जाल में न फंसें. आर्थिक मदद की पेशकश को स्वीकार करने से पहले उस पर अच्छी तरह से गौर कर लें. इसके साथ ही इस कर्ज के फायदे-नुकसान को भी आंक लें, उसके बाद ही आगे बढ़ें. गौरतलब है कि विदेश मंत्री ने ये सलाह म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलम में एक बहस के दौरान दी.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंध बहुत प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं. हर देश अवसर की तलाश में रहता है, वह देखता है कि वो कैसे आगे बढ़ सकता है. उसके दिमाग में हर वक्त अपना फायदा रहता है. हर देश यही सोचता है कि अगर वो ये काम करेगा तो इससे उसे क्या मिलेगा. जयशंकर ने कर्ज पॉलिसी की कलई खोलते हुए कहा कि हमने ऐसे देश भी देखे हैं, जो देखते ही देखते भारी भरकम कर्ज के जाल में फंस गए हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से कई तो अपने क्षेत्र में भी हैं. जयशंकर ने बताया कि इन देशों को कर्ज देकर ऐसे प्रोजेक्ट तैयार करवा लिए, जो व्यवसायिक रूप से बिल्कुल भी उपयोगी नहीं हैं. उनसे ऐसे एयरपोर्ट बनवा लिए, जहां एक भी विमान नहीं उतरता. ऐसे बंदरगाह तैयार करवाए गए, जहां एक भी जहाज नहीं आया. उन्होंने एक बार फिर से पड़ोसी देखों को आगाह करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि किसी देश के कर्ज के जाल में फंसने से पहले देशों को खुद सोचना समझना चाहिए कि आखिर वो कर क्या रहे हैं और क्यों. जयशंकर ने चीन के कर्ज के जंजाल में डूब रहे पड़ोसियों को चेतावनी दी है कि असफल प्रोजेक्ट्स के लिए गए कर्ज के बदले में आपको हिस्सेदारी देनी पड़ेगी. तब ये कर्ज वो नहीं रहेगा, जो शुरुआत में सोचा गया था. विदेश मंत्री जयशंकर की यह चेतावनी ऐसे वक्त में आई है, जब ब बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मेमन ने कहा कि उनके देश को बुनियादी ढाचे के विकास के लिए फंड की जरूरत है और चीन झोला भरकर पैसा देने को तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चीन बेहद आसान शर्तों पर पैसा दे रहा है, जबकि बाकी देश कर्ज देने से पहले कई तरह की शर्तें लगा रहे हैं.
चीन कर रहा है भारत की घेराबंदी
गौरतलब है कि चीन अपनी पर्ल नीति के तहत भारत की घेराबंदी करने के लिए भारतके पड़ोसी देशों में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है. चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान के लिए तो झोली खोल रखी है. वहां चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर तैयार किया रहा है. इसके अलावा श्रीलंका के हंबनटोटा और कोलंबो बंदरगाहों पर भी चीन एक तरह से कब्जा कर चुका है. इसके अलावा वह बांग्लादेश को भी तीस्ता नदी परियोजना के लिए एक अरब डॉलर का कर्ज दे चुका है.
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भारत-चीन तनाव के लिए ड्रैगन जिम्मेदार
चर्चा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया. जयशंकर ने साफ लफ्जों में कहा कि भारत और चीन के रिश्ते इस वक्त नाजुक दौर से गुजर रहे हैं और इसके लिए चीन जिम्मेदार है. इसके साथ ही उन्होंने भारत की पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती नजदीकियों पर भी खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि ये कहना सही नहीं है कि चीन से खराब संबंधों की वजह से भारत के पश्चिमी देशों के साथ संबंध बेहतर हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे रिश्ते जून 2020 से पहले भी अच्छे थे. गौरतलब है कि इसीदौरान चीनी सैनिकों ने लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था. उन्हेंने भारत-चीन सीमा विवाद को रूस-यूक्रेन संकट से तुलना करने को भी गलत बताया. उन्होंने कहा कि दोनों जगहों की चुनौतियां बिल्कुल ही अलग हैं.
HIGHLIGHTS
- विदेश मंत्री की चीनी कर्ज के जाल में नहीं फंसने की सलाह
- कर्ज लेने से पहले फायदे व नुकसान की जरूर करें पड़ताल
- अनुपयोगी प्रोजेक्ट के लिए कर्ज देकर फंसा रहा है चीन