पाकिस्तान की एक भ्रष्टाचार निरोधक अदालत ने अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अल-अजीजिया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार के मामले में सोमवार को सात साल जेल की सजा सुनाई जबकि ‘फ्लैगशिप इनवेस्टमेन्ट’ भ्रष्टाचार मामले में उन्हें बरी कर दिया. जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश मुहम्मद अरशद मलिक ने शरीफ परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के शेष दो मामलों में फैसला सुनाया. अदालत ने 19 दिसम्बर को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
न्यायाधीश मलिक ने अपने फैसले में कहा कि अल-अजीजिया मामले में 68 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ ठोस सबूत है.
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार अदालत ने अल-अजीजिया मामले में शरीफ को दोषी पाया और उन्हें सात वर्ष जेल की सजा सुनाई तथा उन पर 25 लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया. न्यायाधीश ने कहा कि फ्लैगशिप मामले में शरीफ के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है.
शरीफ अपने वकीलों के साथ अदालत में मौजूद थे. उन्हें तुरन्त हिरासत में ले लिया गया. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या उन्हें रावलपिंडी की अदियाला जेल ले जाया जायेगा या लाहौर की कोट लखपत जेल ले जाया जायेगा.
शरीफ के अदालत कक्ष में पहुंचते ही निर्णय सुनाया गया. उनके पास इस निर्णय को चुनौती देने का विकल्प मौजूद है.
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने आठ सितम्बर, 2017 को तीन मामले एवनफील्ड प्रॉपर्टीज मामला, फ्लैगशिप इनवेस्टमेंट मामला और अल-अजीजिया स्टील मिल्स मामला शुरू किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई, 2017 में पनामा पेपर्स मामले में शरीफ को अयोग्य ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के शेष बचे दो मामलों का निपटारा करने के लिए 24 दिसम्बर की समय सीमा तय की थी.
अदालत परिसर के आसपास सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे. इमारत के आसपास पुलिस और रेंजर्स की टुकड़ियों को तैनात किया गया था.
अपने नेता का समर्थन करने के लिए शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के बड़ी संख्या में समर्थक अदालत के बाहर मौजूद थे. पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी समेत पीएमएल-एन के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे.
निर्णय सुनाये जाने के बाद पीएमएल-एन के समर्थकों की सुरक्षाकर्मियों से झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गये और लाठीचार्ज किया गया. निर्णय के मद्देनजर शरीफ ने कहा कि उनकी अंतरात्मा साफ है.
अदालत जाने से पहले इस्लामाबाद में एक विशेष बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत में शरीफ ने कहा, 'मुझे किसी बात का डर नहीं है. मेरी अंतरात्मा साफ है. मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है कि मुझे अपना सिर झुकाना पड़े. मैंने हमेशा पूरी ईमानदारी से इस देश की सेवा की है.'
उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि न्याय होगा और मैं मैं विजयी होकर आऊंगा.'
उच्चतम न्यायालय ने शुरूआत में इन तीन मामलों के निपटारे के लिए छह माह की समयसीमा तय की थी लेकिन जवाबदेही अदालत के अनुरोध पर बाद में इस अवधि को लगभग आठ बार बढ़ाया गया.
शरीफ के दो पुत्र हसन और हुसैन भी इन सभी तीनों मामलों में सह-आरोपी थे लेकिन अदालत के समक्ष एक बार भी पेश नहीं होने पर उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था.
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अदालत ने उनके लौटने पर अलग से उनके मामलों की सुनवाई करने का निर्णय लिया है. शरीफ और उनके परिवार ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार सितम्बर 2017 के बाद से शरीफ 165 बार जवाबदेह अदालत के समक्ष पेश हुए थे.
Source : News Nation Bureau