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France Election: संसदीय चुनाव में हार कर भी राष्ट्रपति बने रह सकते हैं इमैनुएल मैक्रों, जानिए कैसे?

फ्रांस के संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी हार सकती है. पर वे फिर भी राष्ट्रपति बने रहेंगे पर कैसे, पढ़ें पूरी खबर

Updated on: 03 Jul 2024, 04:02 PM

पेरिस:

France Election: फ्रांस में संसदीय चुनाव हो रहे हैं. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी पिछड़ रही हैं. पहले चरण की वोटिंग के एक दिन बाद सोमवार को फ्रांस के गृह मंत्रालय ने रिजल्ट जारी किए थे. इसमें मैक्रों की रेनेसां पार्टी तीसरे नंबर पर रही, जिसे 20.76 प्रतिशत वोट मिले. दक्षिणपंथी नेशनल रैली को सबसे अधिक 35.15 प्रतिशत वोट मिले. दूसरे नंबर पर वामपंथी पार्टी न्यू पॉपुलर फ्रंट रही, जिसे 27.99 प्रतिशत वोट मिलें. दूसरा चरण सात जुलाई को है. फ्रांस की नेसनल असेबंली में 577 सीटें हैं. हालांकि, पार्टी की हार के बाद भी मैक्रों पद पर बने रहेंगे. उन्होंने पहले ही एलान कर दिया था कि जीते चाहे कोई भी राष्ट्रपति पद से वे इस्तीफा नहीं देंगे. आखिर यह कैसे होगा आइये जानते हैं. 

ऐसी है फ्रांस की चुनाव प्रक्रिया
भारत की तरह फ्रांस की संसद में भी दो सदन हैं, उच्च सदन सीनेट और निचला सदन नेशनल असेंबली. फ्रांस की नेशनल असेंबली के सदस्यों को भारत की तरह जनता चुनती है और सीनेट के सदस्यों का चयन नेशनल असेंबली के सदस्य और अधिकारी करते हैं. फ्रांस में नियम है कि दूसरे चरण में वही उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं, जिन्हें पहले चरण में 12.5 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं. 

तो यूं राष्ट्रपति बने रहेंगे मैक्रों
संसदीय चुनाव में अगर मैक्रों की रेनेसां पार्टी हारती भी तो मैक्रों पद पर बने रहेंगे. उन्होंने पहले ही एलान कर दिया था कि जीते चाहे कोई भी राष्ट्रपति पद से वे इस्तीफा नहीं देंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि फ्रांस में नेशनल असेंबली और राष्ट्रपति चुनाव अलग-अलग होते हैं. ऐसे में अगर कोई पार्टी चुनाव में हार भी जाती है, तो उसका उम्मीदवार राष्ट्रपति चुनाव जीतकर फ्रांस का राष्ट्रपति बन सकता है. 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में भी ऐसा हुआ था. वे राष्ट्रपति चुनाव तो जीत गए थे पर उनके गठबंधन दल को सदन में बहुमत नहीं मिल पाया था. ससंदीय चुनाव में अगर नेसनल रैली की मरीन ली पेन बहुमत हासिल कर ले तो मैक्रों संसद में कमोजर हो जाएंगे. उन्हें हर बिल पारित करने में दिक्कत आएगी.

मैक्रों की पार्टी के पास मात्र 88 सीटें
नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 289 सीटें जीतना आवश्यक है. दरअसल, मैक्रों गठबंधन सरकार चला रहे थे. उनके गठबंधन के पास मात्र 250 सीटें हैं. हर एक बिल को पारित कराने के लिए अन्य दलों के साथ सांठ-गांठ करना पड़ता था. नेशनल रैली (NR) के पास 88 सीटें हैं। 

क्या कहते हैं सर्वे
अमेरिकी न्यूज चैनल का अनुमान है कि नेशनल रैली दूसरे चरण के बाद 230 से 280 सीटें जीत सकती है. वहीं, वामपंथी 125-165 सीटें जीत सकती है. इसके अलावा, मैक्रों की रेनेसां पार्टी और उनके गठबंधन को 70 से 100 सीटें ही मिलने का अनुमान है.

मैक्रों ने समय से पहले ही भंग की संसद
वैसे तो फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था पर राष्ट्रपति मैक्रों ने समय के पहले ही संसद भंग कर दी. दरअसल, छह जून को यूरोपीय संघ की ससंद के लिए चुनाव हुए थे. इस दौरान फ्रांस की राजनीतिक परिस्थितियों ने सबसे अधिक अधिक चौंकाया था. चुनाव के दौरान, मरीन ला पेन की पार्टी नेशनल रैली ने मैक्रों को झटका दे दिया था. मरीन ला दक्षिणपंथी नेता मानी जाती है. संघ के चुनावों के बाद ही मैक्रों ने अचानक संसदीय चुनावों की घोषणा कर दी, जिससे सब हैरान हो गए. उन्होंने कहा था कि मैं नेशनल असेंबली भंग कर रहा हूं. मैं चाहता हूं कि आप वोटिंग के जरिए देश का भविष्य चुनें. दक्षिण पंथी पार्टियां आगे बढ़ रही हैं और ऐसे हालातों को मैं स्वीकार नहीं कर सकता.