दुनियाभर के देशों में कोरोना वायरस फैलने के पीछे आज भी चीन पर तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं. ब्रिटेन में आयोजित जी-7 समिट में भी सदस्य देशों ने कोरोना की उत्पत्ति के अलावा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, हॉन्ग-कॉन्ग और शिनजियांग आदि मुद्दों को लेकर चीन को घेरा. जी-7 देशों ने अपने संयुक्त बयान में विश्व स्वास्थ्य संगठन विशेषज्ञों से कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने संबंधी साइंस बेस्ड पारदर्शी जांच कराए जाने की मांग की। इसके साथ ही समिट के बाद रविवार को जारी किए गए संयुक्त बयान में बंधुआ मजदूरी पर भी चिंता जाहिर की गई। बयान में कहा गया कि चीन को अपने शिनजियांग प्रान्त में मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए.
जी-7 देशों के संयुक्त बयान में हॉन्ग-कॉन्ग का भी जिक्र किया गया। बयान में कहा गया कि चीन को हॉन्ग-कॉन्ग में ज्यादा स्वायत्ता देनी चाहिए और दक्षिण चीन सागर में सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने से बचान चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस दौरान चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते दिखे. दरअसल, बाइडेन चीन के साथ आर्थिक प्रतिस्पर्धा के लिए अन्य डमोक्रेटिक नेताओं को एकजुट मोर्चा पेश करने पर सहमत करना चाहते थे। लेकिन यहां यूरोपीय नेताओं ने उनका गर्मजोशी से साथ नहीं दिया। यही वजह है कि अमरीकी प्रशासन की ओर से आए बयान में बताया गया कि सभी देशों ने बाइडेन के साथ सहमति जताई, लेकिन चीन को लेकर कोई पुख्ता रणनीति नहीं बन सकी.
जी-7 नेताओं ने यहां चीनी मार्केट को चुनौती देने वाली रणनीति पर भी विचार किया। बयान में कहा गया कि वो चीनी बाजार निर्देशित इकोनॉमी से अलग तरीको को चैलेंज देने के लिए भी मिलकर काम करेंगे। आपको बता दें कि देश मंत्रालय की ओर से रविवार को बताया गया कि जी-7 समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने अपना फोकस हेल्थ, वैक्सीन और रिकवरी पर रखा. इसके साथ ही पर्यावरण संबंधी चुनौतियां, ओपन इकॉनमी समेत अन्य विषयों पर भी जोर दिया. विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध मामलों के अतिरिक्त सेक्रेटरी पी हरीश (P Harish, Additional Secy (Economic Relations) MEA) ने बताया कि प्रधानमंत्री ने विश्व व्यापार संगठन यानी WTO से कोरोना से जुड़ी तकनीकी में ट्रिप्स छूट के लिए समर्थन मांगा.
HIGHLIGHTS
- दुनियाभर के देशों में कोरोना फैलने के पीछे आज भी चीन पर तरह-तरह के आरोप
- जी-7 समिट में सदस्य देशों ने BRI और शिनजियांग आदि मुद्दों को लेकर चीन को घेरा
- जी-7 बयान में कहा गया कि चीन को हॉन्ग-कॉन्ग में ज्यादा स्वायत्ता देनी चाहिए