पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख की बेहद अहम नियुक्ति के सवाल पर गतिरोध बना हुआ है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी पक्ष की पसंद का मतलब है कि सरकार को फिर से विचार होगा, खासकर अगर वह संस्था की पसंद पर सेना के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाती है. सूत्रों का कहना है कि हालांकि योग्य अधिकारी हैं, लेकिन कुछ लोगों के एक निश्चित कैंप में होने से मामला बहुत जटिल हो गया है. उदाहरण के लिए, लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ का पसंदीदा माना जाता है, हालांकि पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि उन्हें शरीफों से कोई प्यार नहीं हो सकता है.
सूत्र ने कहा, ऐसी धारणा है कि एक उम्मीदवार उनका आदमी या उनके आदमी हैं और इससे एक अनावश्यक विवाद पैदा हो गया है. माना जा रहा है कि संस्था 10 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की ओर झुकी हुई है, जिन्हें एक उत्कृष्ट उम्मीदवार कहा जाता है. उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रति सहानुभूति रखने वाला माना जाता है. डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना कोई ऐसा व्यक्ति पद पर चाहती है जो राजनीतिक रूप से किसी भी तरह ना जुड़ा हुआ हो.
जनरल साहिर ने उन सभी पदों पर काम किया है जो एक सेना अधिकारी के पास हो सकते हैं और एक उत्कृष्ट पसंद हो सकते हैं, लेकिन धारणा, फिर से, यह सब बहुत ही अस्पष्ट बना रही है. एक धारणा है कि जहां तक लेबलों की बात है, लेफ्टिनेंट जनरल नौमान महमूद को बहुत कठोर माना जाता है और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर को पीपीपी खेमे का माना जाता है.
यदि यह स्थिति बनी रहती है और दोनों पक्ष एक व्यक्ति पर सुलह नहीं कर सकते हैं, तो 29 नवंबर से पहले तीसरा विकल्प होना चाहिए. डॉन न्यूज ने सूत्रों के हवाले से कहा, जनरल अजहर अब्बास अब तीसरे विकल्प के रूप में उभर रहे हैं. जाहिर तौर पर बहुत कम बात करते हैं, हमारी तरफ से कोई भी वास्तव में उन्हें नहीं जानता, लेकिन उन्हें बहुत पेशेवर माना जाता है. उनके साथ (अभी तक) कोई लेबल नहीं जुड़े होने के कारण, इस बात की संभावना बढ़ रही है कि जनरल अजहर, जनरल स्टाफ के प्रमुख को केवल इसलिए चुना जाएगा क्योंकि अन्य को हटा दिया जाएगा.
सूत्रों ने कहा, ये सभी सेना को सक्रिय रूप से चला सकते हैं. बड़ा काम संस्था को इस दलदल से बाहर निकालना है.
Source : IANS