पाकिस्तानी जेल से रविवार को रिहा किए गए 20 भारतीय मछुआरे अटारी-वाघा सीमा पार कर सोमवार को भारत पहुंच गए. भारत और पाकिस्तान में जारी तनावपूर्ण संबंधों के बीच सद्भावना दर्शाते हुए इन सभी को रिहा किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी रेंजरों ने इन भारतीय मछुआरों को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सौंपा. इनमें से ज्यादातर आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान छोड़ने से पहले उन्हें ‘आपात यात्रा प्रमाण-पत्र’ जारी किए गए. अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सीमा में प्रवेश के तुरंत बाद मछुआरों की चिकित्सीय जांच कराई गई. इनमें से कुछ जमीन पर झुके और धरती को चूमा.
रिहा किए गए मछुआरों की पहचान एस किशोर, एन धनराजू, गरमर्थी, राम बाबू, एस अप्पा राव. जी रामा राव, बी अप्पन्ना, एन नरसिंह, वी सैमुअल, के यारय्या, डी एस नारायण, के राजू, के वेंकटा, एस कल्यान, भाविरुदु, सेमसन राव और गिर सोमनाथ के तौर पर की गई है. गिर सोमनाथ ने संवाददाताओं से कहा, “हमें पाकिस्तानी तटरक्षक ने नवंबर 2018 में पाकिस्तानी जल क्षेत्र में जाने के लिए गिरफ्तार कर लिया था.” गिर ने पाकिस्तान में गिरफ्तारी को अपने जीवन का सबसे बुरा वक्त बताया. ये मछुआरे सिंध प्रांत में कराची के मालिर जिला कारागार से रिहा होने के बाद रविवार को ट्रेन से लाहौर पहुंचे थे.
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इदी फाउंडेशन के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “उनके यहां पहुंचने पर, फाउंडेशन उन्हें लेने लाहौर रेलवे स्टेशन पहुंचा और उन्हें अपने केंद्र पर ले गया जहां उन्हें भोजन और नये कपड़े दिए गए.” रेंजर्स के एक अधिकारी ने मछुआरों को भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने की पुष्टि की. मालिर जिला कारागार के अधीक्षक औरंगजेब कांगो ने कहा कि रिहा किए गए भारतीयों को छह महीने की सजा सुनाई गई थी लेकिन उनके दस्तावेज एवं राष्ट्रीयता की पुष्टि संबंधी प्रक्रिया पूरी किए जाने के चलते इसमें देरी हुई. उन्होंने बताया कि करीब 200 भारतीय मछुआरे अब भी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं .
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Source : News Nation Bureau