पड़ोसी देश नेपाल में सियासी घमासान जारी है. नेपाल में पिछले कई दिनों से हर रोज सियासी समीकरण बदल रहे हैं. ओली सरकार के विघटन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज से संवैधानिक इजलास में सुनवाई शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि, जब जनता के द्वारा निर्वाचित सरकार जनता के बीच में जाकर जनादेश लेना चाहती है तो उसे जबरदस्ती सरकार रहने को नहीं किया जा सकता है.
राष्ट्रपति के खिलाफ वकीलों को जज ने फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट ने 10 दिनों के भीतर ही संसद विघटन होने कारण मांगे थे. अब जज ने अगली सुनवाई 15 जनवरी को मुकर्रर की है. आज प्रचण्ड समूह ने अपने पक्ष के सांसदों और केन्द्रीय सदस्यों के साथ सड़क पर उतर कर ओली सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया है. प्रचण्ड समूह ने आज निर्वाचन आयोग जाकर जल्द ही उनके समूह को आधिकारिता देने की मांग की है.
ओली ने आज शाम 6 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है जिसमें कुछ नए मंत्रियों की नियुक्ति और कुछ प्रदेश सभाओं के भंग करने का निर्णय किया जा सकता है. ओली और प्रचण्ड के बीच चल रहे झगड़े और पार्टी विभाजन की कानूनी औपचारिकता पूरा होने से पहले ही उसका असर नेपाल के प्रदेश सरकार पर भी दिखने लगा है. आज ही बागमती प्रदेश में प्रचण्ड पक्षधर विधायकों ने ओली पक्षधर मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव पेश कर दिया है.
आपको बता दें कि इसके पहले नेपाली प्रधानमंत्री ने नेपाल की संसद को भंग करने का फैसला लेने के बाद अब एक और बड़ा फैसला किया. केपी ओली ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' को उनके कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटा दिया था. इसके अलावा ओली ने नारायांकाजी श्रेष्ठ को प्रवक्ता के पद से हटाया दिया था. ओली ने पार्टी के 1199 सदस्यों की एक महाधिवेशन कमेटी बनाई थी. पार्टी के सभी निवर्तमान सांसदों को केंद्रीय कमेटी का सदस्य बना दिया गया, साथ ही पार्टी के महाधिवेशन को नवंबर 2021 में बुलाया गया है.
Source : News Nation Bureau