नवीनतम अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों से पता चला है कि पाकिस्तान (Pakistan) की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar) ने अमेरिका के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए चीन के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) का त्याग करने के खिलाफ सरकार को आगाह किया था. दस्तावेजों के मुताबिक मार्च में खार ने शहबाज सरकार (Shahbaz Government) को चेतावनी देते हुए कहा था कि पाकिस्तान अब चीन और अमेरिका के बीच मध्य मार्ग अपनाने की कोशिश नहीं कर सकता है. गौरतलब है कि अमेरिकी खुफिया विभाग के उच्च वर्गीकृत दस्तावेजों में अमेरिका-चीन (US China Tension) के बीच बढ़ते तनाव की चुनौती से निपटने के तरीके पर पाकिस्तान के नीति निर्माताओं के आंतरिक मूल्यांकन का खुलासा किया गया था. गौरतलब है कि ऐसे ही कई संवेदनशील दस्तावेज लीक हो गए थे, जिन्होंने कई मामलों में अमेरिकी प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
इस्लामाबाद पश्चिम को खुश करने के फेर में न पड़े
लीक दस्तावेजों में इस चेतावनी का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि खार की अपनी सरकार को लिखे गए मेमो तक अमेरिका की पहुंच थी. लीक हुई खुफिया जानकारी से राष्ट्रपति बाइडन के सामने विद्यमान वैश्विक चुनौतियों का भी पता चलता है. वास्तव में बाइडन अधिनायकवाद के प्रसार को खारिज करने, रूस के जुझारूपन को रोकने और चीन की बढ़ती वैश्विक पहुंच का मुकाबला करने के अपने प्रयासों के लिए वैश्विक समर्थन हासिल करना चाहते हैं. ऐसे में पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार का आंतरिक मेमो बाइडन प्रशासन के प्रयासों को और पुष्ट करता है. बताते हैं कि हिना रब्बानी खान ने 'पाकिस्तान के कठिन विकल्प' शीर्षक वाले मेमो में आगाह किया कि इस्लामाबाद को पश्चिम को खुश करने से बचना चाहिए. साथ ही आगे कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ पाकिस्तान की साझेदारी को बनाए रखने की तर झुकाव अंततः उन सभी फायदों का गला घोंट देगा, जो देश हित के लिहाज से वास्तविक रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा हैं.
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रूस के खिलाफ प्रस्ताव पर पाकिस्तान के रुख का भी जिक्र
इस बीच 17 फरवरी के एक अन्य दस्तावेज में यूक्रेन संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र के आगामी मतदान को लेकर प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ के अपने अधीनस्थ के साथ विचार-विमर्श का वर्णन है. इसमें सरकार ने रूस के आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्ताव को समर्थन देने के लिए नए सिरे से पश्चिमी दबाव का अनुमान लगाया था. खुफिया दस्तावेज में कहा गया है कि सहयोगी ने प्रधानमंत्री को सलाह दी कि अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन पाकिस्तान की स्थिति में बदलाव का संकेत देगा. सहयोगी ने कहा कि पाकिस्तान के पास रूस के साथ व्यापार और ऊर्जा सौदों पर बातचीत करने की क्षमता है और पश्चिमी समर्थित प्रस्ताव का समर्थन उन संबंधों को खतरे में डाल सकता है. आरे न्यूज के मुताबिक जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस के खिलाफ 23 फरवरी को मतदान किया, तो पाकिस्तान उन 32 देशों में शामिल था जिसने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.
HIGHLIGHTS
- अमेरिका के लीक गुप्त दस्तावेज में पाकिस्तानी मंत्री के मेमो का जिक्र
- हिना रब्बानी खार ने शहबाज सरकार को भेजा था लिखित गुप्त मेमो
- रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-अमेरिकी तनाव पर चर्चा की बात सार्वजनिक