पाकिस्तान की संसद में दशकों से लंबित पड़े हिंदू विवाह अधिनियम को निचले सदन यानी नेशनल असेंबली में पारित कर दिया गया। हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सोमवार को यह सर्वसम्मति पारित कर दिया। इस विधेयक के पारित होने के बाद अब पाकिस्तान में हिंदूओं की शादियों को रजिस्टर किया जा सकेगा। अब तक हिन्दुओं की शादी रजिस्नटर नहीं की जाती थीं। जिसके चलते पाकिस्तान में रह रहे हिंदू समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस करते थे।
क्या है हिन्दू विवाह अधिनियम विधेयक
1- विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि शादी के समय हिंदू जोड़े की उम्र अठारह साल या उससे अधिक होनी चाहिए।
2- इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर पति पत्नी एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और वो एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते, साथ ही शादी को रद्द करना चाहें तो वो ऐसा कर सकते हैं।
3- विधेयक के अनुसार हिंदू विधवा को भी अपने पति की मृत्यु के छह महीने के बाद फिर से शादी करने का अधिकार होगा।
4- इस विधेयक में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि अगर कोई हिंदू व्यक्ति अपनी पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करता है तो यह एक दंडनीय अपराध माना जाएगा।
5- विधेयक में हिंदू विवाह पंजीकरण के नियमों का उल्लंघन करने पर छह महीने कैद की सज़ा का प्रावधान है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्क में आते हैं। जिनकी जनसंख्या कुल आबादी की लगभग 2 प्रतिशत है। जिसमें हिन्दू जाति (1.6%) और अनुसूचित जाति के (0.25%) लोग रहते है।
Source : News Nation Bureau