पाकिस्तान के सिंध में आयोजित धार्मिक उत्सव में शामिल होने के लिए भारत से करीब 51 हिंदू तीर्थ यात्री यहां पहुंचे. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. विस्थापित न्यास संपत्ति बोर्ड (ईटीपीबी) के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया, 'करीब 51 हिंदू तीर्थ यात्री वाघा सीमा के जरिये यहां आए और ईटीपीबी के अधिकारियों ने उनकी अगवानी की.' ईटीपीबी कानूनी निकाय है जो उन हिंदुओं और सिखों की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है जो 1947 में बंटवारे के वक्त भारत चले गए थे. हाशमी ने बताया कि तीर्थ यात्रियों में महिलाएं भी शामिल हैं और उन्हें धार्मिक उत्सव में शामिल होने के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच विशेष बसों से सिंध भेजा गया.
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उन्होंने बताया, 'तीर्थयात्री दस दिवसीय पाकिस्तान दौरे के पर मीरपुर मथेलो, सकूर और घोटकी के मंदिरों का दर्शन करेंगे.' हालांकि, उन्हें किसी और स्थान पर जाने की अनुमति नहीं होगी. तीर्थ यात्रियों के दल में शामिल युदेशतर लाल ने वाघा सीमा पर मीडिया से बातचीत में कहा कि वे शांति और प्रेम का संदेश लेकर आए हैं और लोगों के बीच आपसी संपर्क का समर्थन करते हैं.
उन्होंने सदियों पुराने कुछ मंदिरों को खोलने के पाकिस्तान सरकार के फैसले का स्वागत किया. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने पाकिस्तान सरकार ने स्यालकोट स्थित करीब एक हजार साल पुराने श्वाला तेजा सिंह मंदिर को जीर्णोद्धार के बाद पाकिस्तान हिंदू परिषद को सौंपा था. लाहौर शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर इस मंदिर में बंटवारे के बाद पहली बार हिंदू समुदाय ने पूजा अर्चना की थी. पाकिस्तान में करीब 75 लाख हिंदू रहते हैं और इनमें से भी अधिकतर सिंध प्रांत में निवास करते हैं.