Hiroshima Day 2023: 78 साल पहले 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराकर तबाही मचा दी थी. जिसके निशान आज भी वहां पर मौजूद हैं. 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में एक ऐसा धमाका हुआ जिसमें 'लिटिल बॉय' एक मिनट में 'लिटिल ब्वॉय' ने एक मिनट में पूरे शहर को तहस-नहस कर दिया. अमेरिका ने पहला बम जापान के शहर हिरोशिमा पर गिराया और दूसरा बम 9 अगस्त को नागासाकी पर. 6 अगस्त की सुबह करीब 8 बजे लोग अपने दफ्तर जा रहे थे तो कोई जाने की तैयारी में था. इसी दौरान आसमान में ऐसा धमाका हुआ जिसे देखकर लोगों को लगा जैसे सूरज में ब्लास्ट हो गया हो.
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कुछ ही देर में पूरा शहर लाशों के ढेर में तब्दील हो गया. हिरोशिमा में 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम की आहद अभी थमी ही नहीं थी 9 अगस्त को अमेरिका ने नागाशाकी शहर पर परमाणु बम गिरा गया. ये बम सुबह 11 बजे शहर के ऊपर गिराया गया. जिसमें 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई. इन दोनों धमाकों के बाद रेडियोएक्टिव विकिरण के संपर्क में आने और विस्फोटों के बाद हुई ‘काली बारिश’ ने भी हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया. इन दोनों शहरों में आज भी इन धमाकों को असर देखने को मिलता है.
क्यों मनाया जाता है कि हिरोशिमा दिवस
हिरोशिमा और नागाशाकी पर गिराए गए परमाणु बम गिराने की ये तारीखें इतिहास के बच्चे में काले दिन के रूप में दर्ज हैं. हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा डे के रूप में मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य शांति की राजनीति को बढ़ावा देना है. साथ ही हिरोशिमा पर बम हमलों के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिया मनाया जाता है. बता दें कि हिराशिमा दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां परमाणु हमला हुआ था.
जानिए क्या है लिटिल ब्वॉय और द फैट मैन
बता दें कि अमेरिका ने हिराशिमा और नागासाकी पर जिन परमाणु बमों के गिराया उनका नाम लिटिल ब्वॉय और द फैट मैन था. लिटिल ब्वॉय नाम के परमाणु बम को हिरोशिमा पर गिराया गया. जबकि द फैट मैन नाम के बम को नागाशाकी पर गिराया गया था. लिटिल ब्वॉय नाम के ये परमाणु बम इतना शक्तिशाली था कि इससे माज्ञ 43 सेकंड में पूरे शहर की 80 फीसदी से ज्यादा हिस्से को राख बनाकर हवा में उड़ा दिया. अमेरिका ने हिरोशिमा पर ये हमला 1941 को अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर किए गए जापानी सेना के हमले बाद बदला था.
ज्यादा खतरनाक था नागासाकी पर गिराया गया बम
बताया जाता है कि अमेरिका द्वारा नागासाकी पर गिराया गया बम हिरोशिमा पर गिराए गए बम से ज्यादा शक्तिशाली था, लेकिन इससे कम लोगों की मौत हुई. साथ ही शहर की भौगोलिक स्थिति के कारण इसका प्रभाव कम इलाके में देखने को मिला. इसका मतलब यह था कि हिरोशिमा की तुलना में नागासाकी में काली बारिश के लिए आवश्यक रेडियोएक्टिव सामग्री कम थी, यही कारण था कि यहां अपेक्षाकृत छोटे से क्षेत्र में सीमित बारिश हुई.
क्या है काली बारिश?
इन परमाणु हमले से पूरे शहर की इमारतें नष्ट हो गईं जिनका मलबा और कालिख, बम से निकले रेडियोधर्मी पदार्थ के साथ मिलकर वातावरण में एक मशरूम रूपी बादल के रूप में उभरी. जो वायुमंडल में वाष्प के साथ मिल गईं और उसके बाद काले रंग की बूंदें धरती पर गिरने लगी. जिसे ‘काली बारिश’ कहा गया. इन काली बूंदों को जिंदा बचे लोगों ने इसे बारिश की बड़ी-बड़ी बूंदों के रूप में वर्णित किया जो बारिश की सामान्य बूंदों से काफी बड़ी और भारी थीं. इस घटना में जिंदा बचे लोगों का कहना था कि इस बारिश का शिकार हुए लोगों के शरीर की खाल जल गई और लोग गंभीर रूप से निर्जलित हो गए थे.
क्या हुआ काली बारिश का प्रभाव
बताया जाता है कि इस काली बारिश में अत्यधिक रेडियोधर्मी पदार्थ मिला हुआ था. जिसके संपर्क में आने से लोगों को कई प्रकार की गंभीर बीमारियां हो गईं. साल 1945 में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि ग्राउंड जीरो से तकरीबन 29 किलोमीटर के क्षेत्र में काली बारिश हुई. इस बारिश ने अपने संपर्क में आने वाली हर चीज को जूषित कर दिया था. इस बारिश ने लोगों में विकिरण के तीव्र लक्षण उत्पन्न किए. जिससे कुछ लोग कैंसर से ग्रस्त हो गए तो कुछ लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा हमेशा के लिए चली गई. यही नहीं शहर की जमीन और पानी भी विकिरण से दूषित हो गया.
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Source : News Nation Bureau