यदि ऐसा हुआ तो अफगानिस्तान में डेढ़ करोड़ लोग पहुंच जाएंगे भूखमरी के कगार पर

काबुल के पतन के एक महीने बाद तालिबान मानवीय संकट की तरफ बढ़ता दिख रहा है. काबुल पर कब्जा करने के एक महीने बाद तालिबान को कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है

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Vijay Shankar
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Humanitirian Crisis in Taliban

Humanitirian Crisis in Taliban ( Photo Credit : Twitter)

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काबुल पर कब्जा करने के एक महीने बाद तालिबान को कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह अपनी इस सैन्य जीत को एक स्थायी शांतिकालीन सरकार में बदलने कोशिश कर रहा है. चार दशकों के युद्ध और हजारों लोगों की मौत के बाद काफी हद तक सुरक्षा में सुधार हुआ है लेकिन पिछले 20 वर्षों में हुए विकास में सैकड़ों-अरबों डॉलर खर्च होने के बावजूद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है. सूखा और अकाल की चपेट में आए हजारों लोगों को ग्रामीण इलाके से शहरों की ओर पलायन करने को विवश कर दिया है. विश्व खाद्य कार्यक्रम को इस बात का डर सता रहा है कि महीने के अंत तक इसकी खाद्य आपूर्ति समाप्त हो सकती है, जिससे 14 मिलियन (1 करोड़ 40 लाख) खाद्य-असुरक्षित अफगान भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे, जबकि पश्चिम में बहुत ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि क्या नई तालिबान सरकार महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और अल-कायदा जैसे समूहों को अस्वीकार करने के अपने वादों को पूरा करेगी.

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खाने के लिए आटे तक नहीं
काबुल निवासी अब्दुल्ला ने कहा, " आज हर अफगान के लोग और बच्चे भूखे हैं. उनके पास आटे या खाना पकाने के तेल का एक भी बैग तक नहीं है. खाद्य और कृषि संगठन के इमरजेंसी और रिजिलीअंस कार्यालय के निदेशक रीन पॉलसेन ने मंगलवार को काबुल से एक वीडियो ब्रीफिंग में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि चार मिलियन अफगान के लोग एक फूड इमरजेंसी का सामना कर रहे हैं.  पॉलसेन ने कहा कि 70 प्रतिशत अफगान ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और देश के 34 प्रांतों में से 25 प्रांतों में 73 लाख अफगानिस्तान के लोग प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि ये कमजोर ग्रामीण समुदाय भी महामारी की चपेट में आए हैं.

बढ़ेगी कूपोषण की समस्या
पॉलसन ने चेतावनी दी कि यदि कृषि पैदावार प्रभावित होती है तो इससे कुपोषण बढ़ेगा, विस्थापन बढ़ेगा और मानवीय स्थिति और खराब होगी. बैंकों के बाहर अभी भी लंबी लाइनें हैं, जहां देश के घटते भंडार की रक्षा के लिए लगभग 20,000 अफगानियों ($200) की साप्ताहिक निकासी सीमा लगाई गई है. बाजार में लोग अचानक अपनी संपत्ति बेच रहे हैं. लोगों के पास नौकरियों की दिक्कत है. कई सरकारी कर्मचारियों को जुलाई से भुगतान नहीं किया गया है. हर दिन हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. अर्थव्यवस्था के लगभग बंद होने से यहां की स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है.  

HIGHLIGHTS

  • तालिबान को करना पड़ रहा कठिन समस्याओं का सामना करना
  • अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बादी की ओर
  • नहीं है नौकरियां, संपत्ति बेच रहे लोग

 

 

 

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