Coronavirus (Covid-19): अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund-IMF) ने कोविड-19 संकट से पार पाने और उज्ज्वल भविष्य निर्माण के लिये तीन नीतिगत पहल के सुझाव दिए हैं. ये नीतिगत पहल हैं... जीवन और अजीविका बचाने के लिये जरूरी उपायों को जारी रखना, अधिक मजबूत और समावेशी अर्थव्यवस्था का निर्माण तथा बढ़ते कर्ज से निपटना. आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीएवा ने कहा कि महामारी के नौ महीने होने को हैं, लेकिन दुनिया अभी भी संकट से उबरने की कोशिश में लगी है. इससे लाखें लोगों की जान गयी है जबकि अर्थव्यवस्था पीछे हुई है. इससे भारी संख्या में लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा और गरीबी बढ़ी है.
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चिकित्सा सुविधाओं में सुधार से 2025 तक वैश्विक आय में 9,000 अरब डॉलर का इजाफा
कम आय वाले देशों में ‘एक पीढ़ी को खोने’ का खतरा है. उन्होंने संवाददाता सम्ममेलन में कहा कि हमें पहले से कहीं अधिक मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. खासकर यह सहयोग टीके के विकास और वितरण के लिये जरूरी है. चिकित्सा सुविधाओं में प्रगति से सुधार तेजी से हो सकता है. इससे 2025 तक वैश्विक आय में 9,000 अरब डॉलर का इजाफा होगा. फलत: गरीब और धनी देशों के बीच आय अंतर कम करने में मदद मिल सकती है. आईएमएफ और विश्वबैंक की सालाना बैठकों की शुरूआत से पहले ‘वैश्विक पॉलिसी एजेंडा’ जारी करते हुए जॉर्जीएवा ने कहा कि संकट से पार पाने और उज्ज्वल भविष्य के लिये तीन उपाय करने जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि पहला, जीवन को सुरक्षित रखने और आजीविका बचाये रखने के लिये जरूरी उपायों को जारी रखा जाए. एक टिकाऊ आर्थिक पुनरूद्धार तभी संभव है, जब हम हर जगह महामारी को समाप्त करें। इसके लिये महत्वपूर्ण स्वास्थ्य उपाय जरूरी हैं. परिवारों और कंपनियों के लिये वित्तीय और मौद्रिक समर्थन की भी जरूरत है.
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आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि दूसरा एक अधिक मजबूत और समावेशी अर्थव्यवस्था का निर्माण. हमारा नया शोध कहता हैं कि सार्वजनिक निवेश... खासकर नई परियोजनाओं और डिजिटल ढांचागत सुविधाओं में... पासा पलटने वाला सबित हो सका है। इससे उत्पादकता और आय बढ़ाने के साथ लाखों लागों के लिये रोजगार पैदा किये जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि तीसरा है, कर्ज से निपटना. जॉर्जीएवा ने कहा कि वैश्विक सार्वजनिक कर्ज जीडीपी का 100 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है. इसका कारण संकट से निपटने के लिये खर्च बढ़ाने की जरूरत और पुनरूद्धार के रास्ते पर लौटना है. उन्होंने कहा कि मध्यम अवधि महत्वपूर्ण होगा, लेकिन कई निम्न आय वाले देशों के लिये इस संदर्भ में तत्काल कदम उठाने की जरूरत होगी. आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि कर्ज बोझ को देखते हुए उनके लिये महत्वपूर्ण नीतिगत मामलों में कदम उठाना मुश्किल हो रहा हैं. ऐसे में उन्हें और अनुदान, रियायती कर्ज तथा ऋण से राहत प्रदान करने की जरूरत है.