UK Election: पहली बार वोटिंग के लिए अप्रवासी भी उत्साहित, सुनक की रवांडा नीति से कंजर्वेटिव को फायदा होगा या नुकसान?
UK Election: ब्रिटेन में आम चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव में पहली बार अप्रवासी समुदाय के लोग भी वोटिंग करेंगे. उनका कहना है कि वे चुनाव में वोटिंग के लिए काफी अधिक उत्साहित हैं.
लंदन:
UK Election: ब्रिटेन में कल आम चुनाव के लिए वोटिंग होगी. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी और विपक्षी नेता सर कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी के बीच सीधा और कड़ा मुकाबला है. चुनाव पूर्व हुए सर्वों के अनुसार, इंग्लैंड में 14 साल बाद सत्ता परिवर्तन हो सकता है. लेबर पार्टी इस बार सत्ता में वापसी कर सकती है. चुनाव में अप्रवासी मतदाता भी वोटिंग करेंगे. वे काफी उत्साहित है. उनका कहना है कि यह हमारा घर है और हम अपने देश में भविष्य में बदलाव ला सकते हैं. नाइजीरिया, भारत और मलयेशिया सहित अन्य देशों के शरणार्थी और अप्रवासी वोटिंग के लिए पात्र हैं.
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भारत के प्रथेश पॉलराज का कहना है कि मैं अपने देश के आम चुनावों में मतदान नहीं कर सका पर ब्रिटिश चुनावों में मतदान करूंगा. मैं बहुत खुश हूं. ब्रिटेन के मैनचेस्टर के विश्वविद्यालय के पंजक छात्र वीजा पर हैं. वे भी यहां मतदान करेंगे. उनका कहना है कि मेरे देश में तो अन्य देश के लोगों को मतदान करने की अनुमति नहीं है. मैं छात्र वीजा पर यहां आया हूं पर यहां हमें ब्रिटिश नागरिकों की तरह वोट करने का मौका मिला है. इसके अलावा, 33 साल की मलयेशिया की छात्रा तेह वेन सन का कहना है कि लेबर और कंजर्वेटिव पार्टी में उन्हें खास अंतर समझ नहीं आ रहा है पर वह वोट देने के लिए बहुत अधिक उत्सुक हैं. ब्रिटेन में रह रहीं एक अप्रवासी ओयिनकांसोला दिरिसु का कहना है कि वे लेबर पार्टी को वोट करेंगी. उन्होंने कहा कि वे चाहती हैं कि सत्ता में जो भी आए वह उनके जैसे अप्रवासियों के लिए ब्रिटेन में आना आसान बनाएं.
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ब्रिटेन में अप्रवासन बड़ा मुद्दा
ब्रिटेन में अप्रवास एक बड़ी चुनौती है. सुनक ने वादा किया था कि अगर वे जीतते हैं तो शुद्ध प्रवासन स्तर में कटौती करेंगे. हालांकि, अप्रवासन कई ब्रिटिश लोगों की चिंता का कारण है. उनका कहना है कि अप्रवासन से राज्य संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा, आवास और शिक्षा पर बोझ पड़ेगा. हालांकि, सुनक ने हाल में वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है. शरणार्थियों को रवांडा भेजने की उनकी नीति ने काफी अधिक सुर्खियां बटोरी हैं.
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सुनक को भारतीय वोटरों का नहीं मिल रहा है साथ
ब्रिटेन की संसद में 650 सीटें हैं. इनमें से 50 सीटों पर भारती मूल के वोटर ही हार-जीत तय करते हैं. 50 में से 15 सीटें तो ऐसी हैं, जहां भारतीय मूल का उम्मीदवार ही दो चुनावों से जीत दर्ज करता आ रहा है. 15 में से 12 सीटें अभी कंजर्वेटिव के पास ही है. ब्रिटिश मीडिया की मानें तो भारतीयों का कहना है कि अपने 1.5 साल के कार्यकाल में सुनक ने भारतीयों के लिए कुछ खास काम नहीं किया है. उनका कहना है कि सुनक सरकार में वीजा नियमों को और अधिक सख्त कर दिए गए हैं. पार्टी के रणनीतिकारों को लग रहा था कि सुनक के कारण भारतीय वोटर कंजर्वेटिव को वोट देंगे. हालांकि, ऐसा लग रहा है कि उनकी रणनीति गलत हो सकती है.
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