सत्तारूढ गठबंधन में आबद्ध नेपाली कांग्रेस, माओवादी सहित अन्य दलों के करीब 100 से अधिक सांसदों ने चीफ जस्टिस चोलेन्द्र शमशेर राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद में पेश किया है. चीफ जस्टिस पर कई गंभीर आरोप लगने के बाद यह कदम उठाया गया. यानी जिस चीफ जस्टिस के फैसले से नेपाल में गठबंधन की सरकार बनी थी और शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री बने थे, उसी गठबंधन में शामिल दलों ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग दर्ज करा दिया है.
महाभियोग प्रस्ताव पर 101 सांसदों के हस्ताक्षर
गौरतलब है कि देश में अमेरिकी परियोजना एमसीसी को लेकर सत्तारूढ गठबंधन में टकराव की नौबत आ गई थी. यही नहीं, गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया था, लेकिन रातों रात बदले हुए राजनीतिक घटनाक्रम में सत्तारूढ गठबंधन के सांसदों ने संयुक्त रूप से महाभियोग दर्ज करा दिया. सरकार के कानून मंत्री दिलेंद्र बडु सहित सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस की प्रमुख सचेतक पुष्पा भुषाल, माओवादी के प्रमुख सचेतक देव गुरूंग सहित 101 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया है. अब महाभियोग लगने के साथ ही चीफ जस्टिस राणा पद से स्वत: निलंबित हो गए हैं.
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चीफ जस्टिस पर लगे हैं कई गंभीर आरोप
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश राणा पर आचार संहिता के उल्लंघन, उच्चतम न्यायालय में न्यायिक माहौल बनाए रखने में असफलता और नैतिक शुचिता का पालन नहीं करने जैसे कई आरोप लगे हैं. इन्हीं सब आरोपों को आधार बनाकर उनके खिलाफ ये कदम उठाया गया. कानून मंत्री दिलेंद्र बडु के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक मुख्य न्यायाधीश राणा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर रविवार सुबह संसद सचिवालय पहुंचे थे.
HIGHLIGHTS
- 101 सांसदों के हस्ताक्षर हैं महाभियोग प्रस्ताव पर
- सांसदों ने लगाए हैं राणा पर तमाम गंभीर आरोप
- आरोपों के बावजूद पद छोड़ने से कर दिया था मना