एक वक्त था, जब इमरान खान पाकिस्तान की सेना के Blue eyed Boy कहलाते थे, उन्हें आर्मी का Golden Boy कहा जाता था. इमरान की पार्टी खड़ी होने और उनकी सरकार बनने के पीछे भी पाकिस्तानी आर्मी का हाथ होने की बात कही जाती है. लेकिन आज का वक्त है, जब पाकिस्तानी सेना के इशारे में उसी इमरान खान को घसीटते हुए सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है. आखिर बीते कुछ वर्षों में ऐसा क्या हुआ कि सेना के आंखों का तारा माने जाने वाले इमरान खान उसकी आंख का कांटा बन गए. पहले इमरान खान के दो बयान देख लीजिए. मई 2018 को इमरान ने न्यूयॉर्क टाइम्स को इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें पाकिस्तानी आर्मी के साथ मिलकर काम करने में कोई हिचक नहीं है. उनके शब्दों में, मेरा मानना है कि यह पाकिस्तानी आर्मी है, कोई दुश्मन आर्मी नहीं है. मैं आर्मी को अपने साथ लेकर चलूंगा. इस इंटरव्यू में उन्होंने सेना के तत्कालीन जनरल कमर जावेद बाजवा की तारीफ भी की थी. अब इमरान की गिरफ्तारी से पहले 9 मई का बयान देखिए. इसमें इमरान पाकिस्तानी फौज को साफ-साफ चेतावनी देते दिख रहे हैं, "फ़ौज से न डरने वाला हूं, न देश छोड़कर जाने वाला हूं."
सेना परिवारवाद की राजनीति से तंग आ चुकी थी
पहले इमरान की पार्टी बनने की कहानी जान लीजिए. 1996 का साल था. पाकिस्तान में एक नई पार्टी का उदय हुआ. नाम रखा गया पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई. ये इमरान खान की पार्टी थी. बहुत से लोग मानते थे कि इस पार्टी को खड़ा करने के पीछे पाकिस्तानी सेना की बड़ी भूमिका थी. सेना परिवारवाद की राजनीति से तंग आ चुकी थी और किसी नए चेहरे को सामने लाना चाहती थी. इस तरह इमरान खान ने सेना के सहयोग से पाकिस्तान की राजनीति में कदम रखा. 2002 में इमरान खान सांसद बने और 2013 में उनकी पार्टी नेशनल असेंबली मे दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई.
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अमेरिकी हमले के बाद इमरान ने सेना से नजदीकियां बढ़ाईं
इमरान और सेना के बीच ये जुगलबंदी बाद में और मजबूत हो गई. सेना को नवाज शरीफ और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी आंखों में खटक रही थी. वह इनके खिलाफ एक विकल्प की तलाश में थी. सेना को ये विकल्प इमरान खान में नजर आया. कहा जाता है कि इमरान खान के शुरुआती समर्थकों में आईएसआई के प्रमुख रहे हामिद गुल भी थे. मई 2011 में ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादने के ठिकाने पर अमेरिकी हमले के बाद इमरान ने सेना से नजदीकियां बढ़ाईं. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के विरोध में बयान दिए.
अब सीधे साल 2018 पर आते हैं. इमरान की पीटीआई सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और मामूली बहुमत के साथ सरकार बना ली. इमरान खान प्रधानमंत्री बन गए. कहा जाता है कि इमरान को पीएम की कुर्सी तक पहुंचाने के पीछे सेना का भी हाथ था. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि इमरान खान इलेक्टेड नहीं बल्कि सलेक्टेड प्रधानमंत्री हैं. पाकिस्तानी सेना को नवाज शरीफ को हटाना था, इसलिए उसने अपनी ताकत का इस्तेमाल करके इमरान को प्रधानमंत्री बनवाया.
नया पाकिस्तान बनाने का नारा दिया
सत्ता में आने के बाद इमरान ने नया पाकिस्तान बनाने का नारा दिया. सेना के साथ मिलकर काम करने के भी कई बयान दिए. आर्मी के साथ अपने मधुर संबंधों के बारे में कई बार कहा. जानकार बताते हैं कि इमरान खान सरकार के शुरुआती सालों में सरकार के अहम फैसलों में सेना का दखल रहा करता था. इमरान अपनी सरकार चलाने के लिए जरूरी सांसदों की संख्या से लेकर कानून पास कराने जैसे काम सेना की मदद से करते रहे. लेकिन कुछ समय के बाद आर्थिक और प्रशासनिक मोर्चे पर नाकामी को लेकर इमरान सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगीं. इसकी वजह से सेना भी इमरान से खफा खफा रहने लगी.
इमरान और सेना के रिश्तों में कांटा बनकर आई अक्टूबर 2021 की एक घटना. उस वक्त के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने आईएसआई चीफ फैज हमीद का ट्रांसफर कर दिया. वह लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई का नया मुखिया बनाना चाहते थे. जबकि इमरान खान चाहते थे कि हमीद पद पर बने रहें, इसलिए वह तीन हफ्ते तक उनके तबादले की फाइल दबाकर बैठे रहे. इसे लेकर दोनों के रिश्ते तल्ख हो गए. सेना ने इमरान के सिर पर से अपना हाथ हटा लिया.
इमरान की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं
जनवरी 2022 में इमरान को लगने लगा कि उनकी सरकार को खतरा हो सकता है. ऐसे में उन्होंने बयान दिया कि अगर उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिश की गई तो वे खतरनाक हो जाएंगे. लेकिन इमरान की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं. एक तरफ नदीम अंजुम आईएसआई के चीफ बन गए, तो दूसरी तरफ मार्च 2022 में विपक्षी दलों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया. इमरान ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर से अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवा दिया. यही नहीं, राष्ट्रपति से संसद और प्रांतीय विधानसभाओं को भंग करने पर मुहर भी लगवा ली. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के फैसले को खारिज करते हुए वोटिंग कराने का आदेश दे दिया. वोटिंग हुई और अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पीएम को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया था.
इमरान खान को इस तरह गिरफ्तार किया गया
इसके बाद तो इमरान खान खुलकर सेना के खिलाफ बोलने लगे. पहले तो वह सेना के जनरलों का नाम लिए बिना उन्हें निशाना बनाते थे, लेकिन बाद में वह सीधे-सीधे चुनौती देने लगे. कहा जा रहा है कि इसी का नतीजा था कि इमरान खान को इस तरह गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी से पहले भी इमरान ने पाकिस्तानी फौज को चुनौती दी थी. इसके चार घंटे बाद ही जब वह कोर्ट पहुंचे तो पाकिस्तानी रेंजर्स कमांडो स्टाइल में उन्हें दबोचकर ले गए.
रिपोर्ट-(मनोज शर्मा)
HIGHLIGHTS
- भ्रष्टाचार मामले में इमरान खान सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं
- 9 मई के बयान में इमरान पाकिस्तानी फौज को साफ-साफ चेतावनी देते दिखे
- 2013 में उनकी पार्टी नेशनल असेंबली में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर आई.