पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने सबसे पहले अफगानिस्तान सरकार को मान्यता दे दी, तो उस पर अंतरराष्ट्रीय जगत का दबाव अधिक होगा और इसे वह बर्दाश्त नहीं कर पाएगा. उन्होंने फ्रांस के अखबार ली फिगारो को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि अगर पाकिस्तान ने सबसे पहले तालिबान को मान्यता दी तो हमारे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव काफी बढ़ जाएगा और हम उसे बर्दाश्त करने की हालत में नहीं होंगे क्योंकि हम अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. इमरान ने कहा, 'हम मानते हैं कि अफगान में सरकार जितनी अधिक स्थिर होगी, आतंकी समूहों की गतिविधियां उतनी ही कम होंगी और इसलिए हम अफगानिस्तान की स्थिरता के बारे में चिंतित हैं.'
तालिबान सरकार पर दबाव डालने की एक सीमा
रिपोर्ट में कहा गया है अगर उसे मान्यता प्रदान कर अलग-थलग रहना है, तो यह काम हम अंत में करेंगें और उसे मान्यता प्रदान करने की प्रकिया सामूहिक होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों का आत्मसम्मान बहुत अधिक है और उन्हें एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'आप उन्हें मजबूर नहीं कर सकते. तालिबान जैसी सरकार पर विदेशी दबाव डाले जाने की भी एक सीमा है. पश्चिमी देशों के लोगों की महिलाओं को लेकर जो मान्यता और धारणा है आप वह अफगानों से उम्मीद नहीं कर सकते हैं.'
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अमेरिकी प्रशासन के फैसले पर जताई चिंता
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान लड़कियों की शिक्षा पर सहमत हो गया है, लेकिन उसे समय चाहिए. पाकिस्तानी प्रधान मंत्री ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट के बिगड़ने, शरणार्थियों की संभावित वापसी और अफगानिस्तान के लिए कुल धनराशि में से मात्र आधी राशि जारी करने के अमेरिकी प्रशासन के फैसले पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने उल्लेख किया कि अफगानिस्तान की पूर्व सरकार के पतन से पहले वहां तीन संगठन पाकिस्तानी तालिबान, बलूच आतंकवादी और दाएश के एक समूह अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे.
HIGHLIGHTS
- फ्रांस के अखबार ली फिगारो को दिए साक्षात्कार में इमरान का कबूलनामा
- कहा- तालिबान सरकार को मान्यता देते ही बढ़ जाएगा अंतरराष्ट्रीय दबाव
- अर्थव्यवस्था में लाए जा रहे बदलाव के वक्त हो सकता है भारी नुकसान