पाकिस्तान (Paksitan) के पीएम इमरान खान (PM Narendra Modi) लगातार आजादी मार्च (Azadi March) के सामने झुकते नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे आजादी मार्च के माध्यम से सरकार का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों की उनके इस्तीफे के अलावा सभी वाजिब मांग मानने के लिए तैयार हैं. गौरतलब है कि'आजादी मार्च का नेतृत्व मौलाना फजलुर रहमान कर रहे हैं . इस विरोध प्रदर्शन ने पाकिस्तान की इमरान सरकार को बैकफुट पर ला दिया है.
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बताया जा रहा है कि पीएम इमरान खान ने यह बात पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परवेज खट्टक के नेतृत्व वाली टीम के साथ एक बैठक में की है. इस टीम को इस्लामाबाद में प्रदर्शन करने वाले विपक्षी दलों के साथ बात कर मसला सुलझाने का जिम्मा दिया गया था. दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने इमरान खान के बयान को कोट करते हुए लिखा कि इस्तीफे के अलावा सरकार सभी वाजिब मांगों को मानने के लिए तैयार है.
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने मंगलवार को रक्षामंत्री परवेज खट्टक की अगुवाई वाले सरकारी वार्ता दल से मुलाकात कर जेयूआई-एफ के 'आजादी मार्च' के संबंध में आगे की कार्रवाई पर चर्चा की थी. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठक सरकारी वार्ता दल और रहबर समिति के बीच दूसरे दौर की वार्ता से पहले हुई है. रहबर समिति में विपक्षी दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, खट्टक और पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही ने रहबर कमेटी के साथ हुई बातचीत की जानकारी इमरान खान को दी. इलाही ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के साथ अपनी बैठक के बारे में भी इमरान खान को जानकारी दी. रहमान पाकिस्तान की सत्तारूढ़ तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार को गिराने के लिए मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं.
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सरकार के दो अलग-अलग वार्ता दलों ने सोमवार को आजादी मार्च के मद्देनजर गतिरोध को तोड़ने के लिए जेयूआई-एफ से संपर्क किया था. खट्टक के नेतृत्व में पहला प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद में रहमान के निवास पर रहबर समिति से मिला था. बैठक में रहबर समिति ने विपक्ष की 4 मांगों को प्रस्तुत किया, जिसमें पीएम इमरान खान का इस्तीफा और देश में सेना के पर्यवेक्षण के बिना नए सिरे से चुनाव कराना शामिल है. इस दौरान दोनों पक्षों ने कोई भी सहमति बनने को लेकर संकेत नहीं दिए.
बैठक के कुछ घंटे बाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी शुजात हुसैन के नेतृत्व में दूसरा सरकारी प्रतिनिधिमंडल भी मांगों पर चर्चा करने के लिए जेयूआई-एफ प्रमुख से मिला था. अधिकारियों के अनुसार, 31 अक्टूबर को आजादी मार्च के इस्लामाबाद पहुंचने के बाद से 20 से 25 लाख लोग सरकार विरोधी प्रदर्शन में भाग ले चुके हैं.