पाकिस्तान के राष्ट्रकवि अल्लामा इकबाल की 142 वीं जयंती पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को कहा कि इस उपमहाद्वीप के मुसलमान उनके अमूल्य योगदानों को लेकर हमेशा उनके कर्जदार रहेंगे.इस मौके पर अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि इकबाल ने इस उपमहाद्वीप के मुसलमानों में नयी भावना जगायी, उनकी चिंतन प्रक्रिया बदली और उन्हें अपनी गुम पहचान को फिर से हासिल करने के वास्ते संघर्ष के लिए एक ठोस वैचारिक आधार प्रदान किया.
"सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्ता हमारा, हम बुलबुले हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा.." हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी की सुबह यह गीत सीधा दिल में जा उतर जाता है और देशभक्ति का जोश हमारी रगों में दौड़ने लगता है. इस गीत को लिखा है पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल यानी सर मोहम्मद इकबाल ने. आज सर इकबाल का जन्मदिन है. इस मौके पर पाकिस्तान ने उन्हें याद किया है.
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सरकारी रेडियो पाकिस्तान के अनुसार उन्होंने कहा कि समाज को नुकसान पहुंचा रही और उसकी प्रगति में बाधा पहुंचा रही बुराइयों का हल ढूंढने के लिए इकबाल के संदेशों की तरफ पलटने का यही सही समय है .खान ने कहा कि उपमहाद्वीप के मुसलमान इस महान दूरद्रष्टा नेता की अमूल्य सेवाओं को लेकर सदैव उनका कर्जदार रहेगा.
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उन्होंने कहा कि इस महान नेता ने इस उपमहाद्वीप के मुसलमानों के लिए पृथक होमलैंड का सपना भी देखा था और इस्लाम के संदेशों की सच्ची समझ के प्रति योगदान दिया.नौ नवंबर, 1877 को सियोलकोट में पैदा हुए इकबाल को उपमहाद्वीप की सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्यिक हस्तियों में से एक माना जाता है.उन्होंने उर्दू और पारसी भाषाओं में अपनी साहित्यिक कृतियों की रचना की.उन्हें शायर-ए-मशरिक (पूर्व का शायर) कहा जाता है.उनका 21 अप्रैल 1938 को निधन हुआ था.
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Source : Bhasha