इमरान खान ने कहा- पाकिस्तान ने पैसों के लिए US संग मिलकर तालिबान से लड़ी जंग

इमरान ने दावा किया कि वह 2001 में युद्ध में शामिल होने का फैसला करने वाले लोगों के करीब थे. उस दौरान तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ (Gen Pervez Musharraf) ने युद्ध में शामिल होने का फैसला लिया था.

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Pradeep Singh
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IMRAN KHAN

PM इमरान खान, पाकिस्तान( Photo Credit : TWITTER HANDLE)

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पाकिस्तान पर  हमेशा से यह आरोप लगता रहा है कि वह अमेरिका से पैसा लेने के लिए 'आतंक के खिलाफ युद्ध' लड़ने का ढोंग करता है. अब यह बात खुलकर सामने आ गयी है. पाकिस्तान की रुचि आतंक से लड़ने की नहीं बल्कि आतंकियों की सहायता करके जिहाद कराना रहा है. दिखाने के लिए तो वह तालिबान से लड़ने में अमेरिका का सहयोगी था लेकिन वास्तविक रूप से वह तालिबानियों के साथ था. तालिबान लड़ाकों और उनके सरदारों की वह हर तरीके से मदद करता था. इसके बदले  वह कश्मीर घाटी में तालिबान आतंकियों को भेजने का दबाव बनाता था.

पाकिस्तान के इस रूप से भारत परिचित रहा है. विश्व के अनेक मंचों पर वह पाकिस्तान के इस दोहरी चाल का तथ्यों के साथ भंडाफोड़ करता रहा है. लेकिन अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वयं इस सच को स्वीकार कर लिया है. इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान  (Afghanistan) में अमेरिका (America) के 20 सालों तक चले ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ में शामिल होने के पाकिस्तान के फैसले पर खेद व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ये खुद से किया गया घाव था और युद्ध में शामिल होना एक ऐसा निर्णय रहा है, जो सिर्फ पैसे के लिए लिया गया, न कि लोगों की भलाई के लिए.

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इमरान ने दावा किया कि वह 2001 में युद्ध में शामिल होने का फैसला करने वाले लोगों के करीब थे. उस दौरान तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ (Gen Pervez Musharraf) ने युद्ध में शामिल होने का फैसला लिया था.(Afghanistan) के ताजा हालातों को लेकर बात करते हुए इमरान खान (Imran Khan) ने कहा, ये एक बड़ा अत्याचार है, क्योंकि मानव निर्मित संकट पैदा किया जा रहा है.

पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने मंगलवार को अफगानिस्तान (Afghanistan) में अमेरिका (America) के 20 सालों तक चले ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ में शामिल होने के पाकिस्तान के फैसले पर खेद व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ये खुद से किया गया घाव था और युद्ध में शामिल होना एक ऐसा निर्णय रहा है, जो सिर्फ पैसे के लिए लिया गया, न कि लोगों की भलाई के लिए. इमरान ने दावा किया कि वह 2001 में युद्ध में शामिल होने का फैसला करने वाले लोगों के करीब थे. उस दौरान तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ (Gen Pervez Musharraf) ने युद्ध में शामिल होने का फैसला लिया था.

इमरान खान लगभग दो दशक के लंबे युद्ध में पाकिस्तान की भागीदारी की आलोचना करते रहे हैं. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि फैसले के पीछे क्या विचार थे. दुर्भाग्य से, पाकिस्तान के लोगों पर कोई विचार नहीं किया गया.’ उन्होंने कहा, ‘इसके बजाय, विचार वही थे जो 1980 के दशक में रहे थे, जब हमने अफगान जिहाद में भाग लिया था.’ इमरान सोवियत-अफगान युद्ध (Soviet-Afghan war) की ओर इशारा कर रहे थे, जिसे ‘पवित्र युद्ध’ के रूप में जाना जाता है.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम खुद अपनी हालत के लिए जिम्मेदार हैं. हमने दूसरों को खुद का इस्तेमाल करने दिया. हमने सहायता के लिए अपने देश की प्रतिष्ठा का त्याग किया और एक विदेश नीति बनाई जो सार्वजनिक हित के खिलाफ थी. इस नीति को सिर्फ पैसे के लिए तैयार किया गया था.’ उन्होंने पाकिस्तान के ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ में हिस्सा लेने को खुद को घाव देने वाला कदम करार दिया. इमरान ने कहा कि हम युद्ध के नतीजों के लिए किसी को दोष नहीं दे सकते हैं. इमरान खान ने पहले भी कहा है कि 20 सालों तक चले युद्ध की वजह से पाकिस्तान के 80 हजार लोगों को जान गंवानी पड़ी और 100 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ.

अफगानिस्तान के ताजा हालातों को लेकर बात करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ये एक बड़ा अत्याचार है, क्योंकि मानव निर्मित संकट पैदा किया जा रहा है. सभी को ये बात मालूम है कि अफगानिस्तान के फ्रीज किए गए धन को रिलीज करने और पैसा देने से ये संकट टल जाएगा. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में मौजूद स्थिति को संबोधित करना पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसका पड़ोसी देश है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस कठिन समय में अफगानिस्तान को सहायता देना जारी रखेगा.

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तान को युद्ध से हुआ 100 अरब डॉलर का नुकसान
  • जनरल परवेज मुशर्रफ  ने युद्ध में शामिल होने का फैसला लिया था
  • युद्ध में शामिल होने का निर्णय सिर्फ पैसे के लिए लिया गया 
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